ठाकुर बारी के प्रति गाँव के लोगों के मन में अपार श्रद्धा के भाव है। ठाकुर बारी को गाँव के लोग एक पवित्र जगह मानते थे। इसी कारण ठाकुरबारी जो आरंभ में एक छोटा सा मंदिर थी, वह एक विशाल भवन में परिवर्तित हो गई थी। लोग श्रद्धा भाव के कारण ठाकुरबारी में दिल खोलकर दान देते थे। जिस किसी की भी मनोकामना पूर्ण हो जाती वह अपने खेत का एक छोटा सा हिस्सा ठाकुरबारी को दान देता था। इसके अलावा ठाकुरबारी में अनेक तरह का चढ़ावा आता था। दूर-दूर से लोग ठाकुरबारी में अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए आते थे। जिन लोगों की मनोकामना पूरी हो जाती तो वह ठाकुर बारी के ठाकुर जी (भगवान) कृपा मानते थे।
संदर्भ :
हरिहर काका, कक्षा 10, पाठ – 1 (संचयन)
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कवि ने ऐसा क्यों विश्वास किया है कि उसका अंत अभी नहीं होगा?
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