स्वस्थ हो हर साँस।


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स्वस्थ हो हर साँस, पर कैसे ? यह सवाल बहुत कठिन है। पर इसका जवाब सिर्फ मानव के पास ही है।

मानव जीवन शुद्ध वायु पर आधारित है। यदि वायु शुद्ध होगी तो सभी जीव शुद्ध वायु में साँस ले सकेंगे ।हमारे देश की जनसंख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इस कारण जंगलों का अंधाधुंद कटाव होता जा रहा है। अधिकतर जमीन पर खेती – बाड़ी हो रही है उद्योग स्थापित किए जा रहे हैं आवासों का निर्माण लगातार हो रहा है। वृक्षों के अभाव से वायु की शुद्धता मे कमी आई है। यातायात और उद्योगों ने प्रदूषण को अधिक बड़ा दिया है। कारखानों की चिमनियों तथा वाहनों आदि से जो ज़हरीली गैस निकलती है वह वायुमंडल को दूषित करती है और वायुमंडल में उपस्थित गैसों में असंतुलन पैदा कर देती है जिस कारण वायु ज़हरीली होती जा रही है।

वृक्ष एवं वन प्रकृति की देन हैं। वह हमारी अमूल्य प्राकृतिक संपदा हैं। वृक्ष प्रकृति का सुन्दर वरदान है। इनके बिना मानव जीवन ही नहीं प्राणि जीवन की कल्पना तक नहीं कर सकते हैं। वृक्षों से हमें लकड़ी प्राप्त होती है जो हमारी अनेक आवश्यकताओं को पूरा करती है। वृक्षों से ही हमें प्राण-वायु प्राप्त होती है। यदि वायु शुद्ध होगी तो हर साँस स्वस्थ होगी और यह तभी संभव जब अधिक से अधिक वृक्षारोपण किया जाएगा। वृक्षा रोपण एक सामाजिक दायित्व है।


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‘प्लास्टिक हटाएं जीवन बचाएं धरती को स्वच्छ बनाएं’। अगर आप अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए पृथ्वी को बचाए रखना चाहते हैं तो धरती को बंजर होने से बचाएं, प्लास्टिक को धरती से दूर भगाएं-इस विषय पर सुंदर, रोचक नारा लिखिए।

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