कवि रसखान पत्थर के रूप में गोकुल में गोवर्धन पर्वत का अंश बनना चाहते हैं।
विस्तार से
कवि रसखान श्री कृष्ण की भक्ति से ओतप्रोत हैं और वह श्री कृष्ण के प्रति अपने अनन्य भक्ति भाव की धारा में बहकर कहते हैं कि यदि मुझे अगला जन्म मिले तो मैं अगला जन्म गोवर्धन पर्वत का अंश बन कर जन्म लूं ताकि मैं उस पवित्र गोवर्धन पर्वत को स्पर्श कर सकूं, जिसे भगवान श्री कृष्ण ने अपनी उंगली पर उठाया था।
वह श्रीकृष्ण की भक्ति की धारा में बहकर कई रूपों में जन्म लेना चाहते हैं। वह कहते हैं कि यदि मुझे मनुष्य का जन्म मिले तो मैं ग्वाल गोकुल के ग्वाले के रूप में जन्म लूं ताकि मैं उसी क्षेत्र की गायों को चराते हुए कृष्ण की उस पवित्र भूमि का अनुभव कर सकूं।
यदि पशु के रूप में मिले तो वह गाय के रूप में अपना जीवन गोकुल में बिताना चाहते हैं।
पक्षी के रूप में वह कदम्ब के पेड़ पर निवास करना चाहते हैं, जिस कदम्ब के नीचे भगवान श्रीकृष्ण अपनी लीलाएं रचते थे।
इस तरह रसखान कृष्ण भक्ति की धारा में बेहतर अलग-अलग रूपों में गोकुल में जन्म लेना चाहते हैं ताकि वे श्री कृष्ण को निकट से अनुभव कर सकें।