कबीर, गुरु नानक और मीराबाई तीनों 21वीं सदी में आज भी प्रासंगिक हैं, क्योंकि कबीर, गुरु नानक देव पर मीराबाई ने अपने भजन, पदों, दोहों आदि के माध्यम से जो ज्ञान की बातों का प्रचार-प्रसार किया, वह सभी बातें समय के दायरे के बंधन से परे हैं और वह नैतिक बातें हर समय में प्रासंगिक होती हैं।
इन संतों-कवियों के वचन, उपदेश, काव्य रचनाएं आदि मानव जाति के कल्याण के लिए होती थीं। मानव जाति का कल्याण हर युग में आवश्यक है। इन संत कवियों की रचनाओं में नैतिकता की बातें होती थी, जो कि हर युग में प्रासंगिक होती हैं।
आज की इक्सीसवीं सदी में कबीर, गुरु नानकदेव, और मीराबाई के वचन, उपदेश और काव्य और अधिक प्रासंगिक हैं क्योंकि आज नैतिक मूल्यों का निरंतर पतन होता जा रहा है। ऐसे में इन संत कवियों के वचन, उपदेश, दोहे आदि मानव जाति को नैतिकता की राह पर चलने से रोक सकते हैं और उनका सही मार्गदर्शन कर सकते हैं।
इसीलिए कबीर, गुरु नानकदेव और मीराबाई तीनों आज के युग में भी उतनी ही प्रासंगिक हैं, जितने अपने युग में थे, बल्कि उससे भी अधिक प्रासंगिक है।
कुछ और जाने