तताँरा-वामीरो के गाँवों के नाम बताइए।

तताँरा और वामीरो के गाँव के नाम ‘पासा’ और ‘लपाती’ थे।

तताँरा ‘पासा’ नामक गाँव का रहने वाला था, जबकि वामीरो ‘लपाती’ नामक गाँव की रहने वाली थी।

दोनों गाँव अंदमान-निकोबार द्वीप समूह के छोटे-छोटे गाँव थे। पूरे अंदमान-निकोबार द्वीप समूह में यह प्रथा थी कि एक ही गाँव के युवक-युवती ही आपस में विवाह कर सकते हैं। एक गाँव का युवक या युवती दूसरे गाँव के युवक या युवती से विवाह नहीं कर सकते।

चूँकि तताँरा और वामीरो दोनों अलग-अलग गाँव के थे, इसलिए उन दोनों के बीच प्रेम संबंध उनके गाँव वालों को पसंद नहीं आया और उन लोगों ने तताँरा एवं वामीरो का विवाह नहीं होने दिया।

संदर्भ पाठ

‘तताँरा एवं वामीरो की कथा’ लीलाधर मंडलोई द्वारा लिखी गई एक कहानी है। जिसमें तताँरा नामक एक युवक और वामीरो नामक एक युवती की प्रेम कथा का वर्णन किया गया है। दोनों अंदमान निकोबार द्वीप समूह के अलग-अलग गाँव के निवासी थे। चूँकि एक ही गाँव की प्रथा एक गाँव के युवक-युवतियों के विवाह की थी इसलिए दोनों प्रेम होते हुए भी आपस में विवाह नहीं कर सके और दोनों ने अपने प्राण त्याग दिए।


थोड़ा और जाने

तताँरा वामीरो कथा के लेखक कौन हैं? श्री प्रेमचंद श्री लीलाधर मंडलोई श्री सियाराम शरण?

तताँरा ने वामीरो को पहली बार कब देखा?

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