मीराबाई, रैदास और दादू दयाल कौन थे?

मीराबाई, रैदास और दादू दयाल तीनों हिंदी साहित्य की काव्य विधा की भक्ति धारा के कवि-संत थे।

 

विस्तार से :

मीराबाई हिंदी काव्य जगत में भक्ति धारा की एक प्रमुख संत कवयित्री थीं, जिनका जन्म राजस्थान के कुड़की गाँव में हुआ था। वह कृष्ण भक्ति के लिए जानी जाती थी वह भक्ति धारा के कृष्णाश्रयी शाखा की सगुण उपासक थीं, उन्होंने अपना पूरा जीवन कृष्ण की भक्ति के प्रति समर्पित कर दिया था। वह कृष्ण को अपना आध्यात्मिक पति मानती थी और उन्होंने कृष्ण भक्ति से संबंधित अनेक पदों की रचना की थई।
दादू दयाल भी भक्ति काल के कृष्णाश्रयी शाखा के एक प्रमुख कवि संत थे। वह दादू पंथ के प्रवर्तक थे। उन्होंने जाती-पाति के निराकरण और हिंदू-मुस्लिम एकता पर जोर देकर अनेक पदों की रचनाएं कीं। उनकी रचनाएं नैतिक शिक्षा से भरी होती थीं। वह संत कबीर को अपना आदर्श एवं गुरु मानते थे और उन्हीं के सिद्धांतों का अनुसरण करते थे। दादू दयाल का जन्म भारत के गुजरात राज्य के अहमदाबाद नगर में हुआ था।
संत रैदास ऊर्फ रविदास भी भक्ति काल के एक प्रमुख कवि संत थे, जिन्होंने जाति पाति के विरोध में मुखर होकर आवाज उठायी। उनका जन्म काशी नगर में हुआ था। वह एक तथाकथित निम्न जाति से संबंध रखते थे और इसी कारण उन्होंने जाति-पाति का विरोध किया। उनके दोहे नैतिक शिक्षा से भरे होते थे। उनके अनेक दोहे सिखों के पवित्र ग्रंथ में ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ में भी शामिल हैं। उन्होंने रैदसिया या रविदसिया पंथ की स्थापना की। वह मीराबाई के गुरु भी थे।


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