‘हिंदुन की हिंदुवाई देखी तुरकन की तुरकाई’ इस काव्य पंक्ति में अलंकार भेद इस प्रकार है :
काव्य पंक्ति : ‘हिंदुन की हिंदुवाई देखी तुरकन की तुरकाई’
अलंकार भेद : अनुप्रास अलंकार
कारण
हिंदुन की हिंदुवाई देखी तुरकन की तुरकाई’ इस पंक्ति में ‘अनुप्रास अलंकार’ इसलिए है, क्योंकि इस पंक्ति में ‘ह’ वर्ण और ‘त’ वर्ण की दो-दो बार पुनरावृत्ति हुई है, अर्थात ‘हिंदुन’ एवं ‘हिंदूवाई’ इन दो शब्दों में ‘ह’ वर्ण की पुनरावृत्ति हुई है और ‘तुरकन’ एवं ‘तुरकाई’ इन दोनों शब्दों के प्रथम वर्ण में ‘त’ वर्ण की पुनरावृत्ति हुई है। इसी कारण यहां पर ‘अनुप्रास अलंकार’ प्रकट हो रहा है।
अनुप्रास अलंकार की परिभाषा
‘अनुप्रास अलंकार’ की परिभाषा के अनुसार जब किसी काव्य पंक्ति में किसी शब्द के प्रथम वर्ण की एक से अधिक बार पुनरावृति हो तो वहां पर ‘अनुप्रास अलंकार’ प्रकट होता है।
दूसरे नियम के अनुसार जब किसी समान शब्द की किसी काव्य पंक्ति में अनेक बार समान अर्थ में पुनरावृति हो तो भी वहाँ पर ‘अनुप्रास अलंकार’ प्रकट होता है।
अलंकार की परिभाषा :
अलंकार से तात्पर्य काव्य के सौंदर्य को बढ़ाने वाले शब्दों से होता है। अलंकार का काव्य के लिए आभूषण की तरह कार्य करते हैं। जिस तरह मानव के लिए आभूषण उसका सौंदर्य बढ़ाने का कार्य करते हैं। उसी तरह अलंकार काव्य के सौंदर्य को बढ़ाने का कार्य करते हैं, इसीलिए अलंकारों को काव्य का आभूषण कहा जाता है।
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