‘सतपुड़ा के घने जंगल ऊँघते अनमने जंगल’, इन पंक्तियों में अलंकार इस प्रकार होगा :
काव्य पंक्ति : सतपुड़ा के घने जंगल ऊँघते अनमने जंगल
अलंकार भेद : मानवीकरण अलंकार
स्पष्टीकरण
‘सतपुड़ा के घने जंगल ऊँघते अनमने जंगल’ इन पंक्तियों में मानवीकरण अलंकार इसलिए है, क्योंकि इन पंक्तियों के माध्यम से प्रकृति के प्राकृतिक तत्व यानि जंगल को मानवीय क्रिया करते हुए प्रदर्शित किया गया है। अर्थात जंगल मानव जैसा मानवीय व्यवहार कर रहे हैं, यानी ऊँघ रहे हैं। जैसे कि मानव करता है। इसी कारण इस काव्य पंक्ति में ‘मानवीकरण अलंकार’ है।
मानवीकरण अलंकार की परिभाषा
मानवीकरण अलंकार उस काव्य में प्रकट होता है, जहाँ पर प्रकृति के प्राकृतिक तत्वों को मानवीय क्रिया संपन्न करते हुए दर्शाया जाता है। मानवीकरण अलंकार में प्रकृति के प्राकृतिक तत्व मानव जैसे व्यवहार या क्रियाकलाप करते हुए प्रस्तुत किये जाते हैं।
उपरोक्त पंक्तियों में जंगल प्रकृति के प्राकृतिक तत्व हैं और मानव की तरह व्यवहार कर रहे हैं, अर्थात वह ऊँघ रहे हैं, जो कि एक मानवीय क्रिया है। इसलिए यहां पर ‘मानवीकरण अलंकार’ प्रकट हो रहा है।
अलंकार की परिभाषा
अलंकार से तात्पर्य काव्य के सौंदर्य को बढ़ाने वाले शब्दों से होता है। अलंकार का काव्य के लिए आभूषण की तरह कार्य करते हैं। जिस तरह मानव के लिए आभूषण उसका सौंदर्य बढ़ाने का कार्य करते हैं। उसी तरह अलंकार काव्य के सौंदर्य को बढ़ाने का कार्य करते हैं, इसीलिए अलंकारों को काव्य का आभूषण कहा जाता है।
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