तताँरा ने वामीरो को पहली बार समुद्र के तट पर गाना गाते हुए देखा था। जब तताँरा ने वामीरो को देखा तो वामीरो उस समय समुद्र के किनारे बैठी हुई गाना गा रही थी।
विस्तार से
‘तताँरा वामीरो की कथा’ में तताँरा और वामीरो दो प्रेमी प्रेमिका थे, जो अंडमान निकोबार दीप समूह पर रहते थे। तताँरा-निकोबार द्वीप समूह के एक गाँव का रहने वाला एक वीर युवक था। सारे निकोबारी उसे बेहद प्रेम करते थे।
एक दिन तताँरा दिन भर के कठिन परिश्रम करने के बाद शाम के समय समुद्र के किनारे टहलने निकला तो उसे वहां पर गाने की आवाज सुनाई दी। गाने के मधुर स्वर सुनकर वह उसी दिशा में खिंचता चला गया। गाना इतना मधुर था, कि वह अपनी सुध बुध खो कर गाना सुनने लगा। धीरे-धीरे गाने गाने के स्वर आने की दिशा की तरफ बढ़ते हुए उसने देखा कि एक युवती वह गाना गा रही थी। बहुत सुंदर थी। उसके सौंदर्य को देखकर तताँरा उस पर मोहित हो उठा। वह वामीरो थी।
इस तरह तताँरा ने वामीरो को सबसे पहले समुद्र तट पर सबसे पहली बार देखा था।
संदर्भ
‘तताँरा वामीरो की कथा’ लीलाधर मंडलोई द्वारा लिखी गई कहानी है, जिसमें उन्होंने अंडमान निकोबार द्वीप समूह के गाँव में रहने वाले दो प्रेमी युगल तताँरा एवं वामीरो की प्रेम कथा का वर्णन किया है।
लीलाधर मंडलोई हिंदी साहित्य के एक प्रसिद्ध लेखक रहे हैं। मूलतः वे कवि थे, लेकिन उन्हें कई कहानियों की भी रचना की है।
कुछ और जाने
तताँरा-वामीरो के गाँवों के नाम बताइए।
तताँरा वामीरो कथा के लेखक कौन हैं? श्री प्रेमचंद श्री लीलाधर मंडलोई श्री सियाराम शरण?