बालगोबिन भगत के आत्मसम्मान के बारे में जानकारी दें।

बाल गोबिन भगत बेहद आत्मसम्मानी और स्वाभिमानी व्यक्ति थे। वह अपने आदर्शों पर खरा होकर चलने वाले व्यक्ति थे। उनके अपने कुछ आदर्श थे, वह उन्हीं आदर्शों का पालन करते थे। वह कबीर को अपना साहब मानते थे और कबीर के बनाए हुए आदर्शों को उनका आदेश मानकर उन पर चलते थे।

बालगोबिन कभी भी झूठ नहीं बोलते और सब के साथ खरा व्यवहार करते थे। वह कभी भी किसी की चीज को नहीं छूते थे और ना ही किसी से पूछे बिना वह किसी चीज का उपयोग करते। वह कभी दूसरे के खेत में शौच के लिए नहीं जाते थे और उनके खेत में जो कुछ भी पैदावार होती है, सारी पैदावार सबसे पहले वह अपने कबीर पंथ के दरबार में ले जाते और वहां भेंट स्वरूप रख देते। बदले में उन्हें कबीरपंथ के दरबार से जो कुछ भी प्रसाद के रूप में मिलता, उसी से वह अपनी घर गृहस्थी चलाते थे। कहने को वह ग्रहस्थ थे लेकिन साधुओं जैसा नियम-पालन करते थे।

संदर्भ :

‘बालगोबिन भगत’ पाठ ‘रामवृक्ष बेनीपुरी’ द्वारा लिखा गया पाठ है, जिसमें ‘बालगोबिन भगत’ नाम के एक ऐसे व्यक्ति का वर्णन किया गया है, जो भ्रष्ट होते हुए भी साधुओं जैसा आचरण करते थे और स्वभाव के बेहद सरल एवं सच्चे हृदय के व्यक्ति थे।


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