मुसलमान के पीर औलिया मुर्गी मुर्गा खाई में कौन सा अलंकार है?

‘मुसलमान के पीर औलिया मुर्गी मुर्गा खाई’ में अलंकार इस प्रकार है :

मुसलमान के पीर औलिया मुर्गी मुर्गा खाई

अलंकार भेद : अनुप्रास अंलकार

कारण : ‘मुसलमान के पीर औलिया मुर्गी मुर्गा खाई’ इस काव्य पंक्ति में ‘अनुप्रास अलंकार’ है, क्योंकि इस काव्य पंक्ति में ‘म’ वर्ण की तीन बार पुनरावृत्ति हुई है।

अनुप्रास अलंकार की परिभाषा 

अनुप्रास अलंकार किसी काव्य में वहां पर प्रकट होता है, जब उस काव्य में किसी शब्द का प्रथम वर्ण अनेक शब्दों में प्रथम वर्ण के रूप में प्रयुक्त किया गया हो, अर्थात कोई वर्ण अनेक शब्दों का प्रथम वर्ण हो।
दूसरा नियम ये है कि कोई समान शब्द एक ही अर्थ के संदर्भ में कुछ काव्य पंक्ति में अलग-अलग जगह पर प्रयुक्त किया गया हो। इस तरह के काव्य में अनुप्रास अलंकार होता है।

अलंकार की परिभाषा 

अलंकार से तात्पर्य शब्दों के सौंदर्य से है। किसी काव्य में शब्दों को अलंकृत किया जाता है, अर्थात उन्हें अलंकारों द्वारा सुंदर बनाया जाता है। अलंकार किसी काव्य के लिए आभूषण का कार्य करते हैं। जिस प्रकार स्त्री या पुरुष की सुंदरता को उसके द्वारा पहने गये आभूषण बढ़ाते हैं, उसी तरह काव्य की शोभा अलंकार से होती है।


ये भी देखें

अचल दीपक समान में रहना अलंकार है​?

‘दीरघ-दाघ निदाघ’ में अलंकार है (क) श्लेष (ख) उपमा (ग) यमक (घ) अनुप्रास।

‘उगलेंगे आग कारखाने, हर ओर अंधेरा छाएगा’ – पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?

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