‘मंजुल मुख मानो शशि’ में अलंकार इस प्रकार होगा :
मंजुल मुख मानो शशि
अलंकार भेद : उपमा अलंकार
स्पष्टीकरण
‘मंजुल मुख मानो शशि’ इस पंक्ति मे उपमा अलंकार इसलिये है, क्योंकि इसमें मंजुल मुख यानी सुंदर मुख की तुलना शशि यानी चंद्रमा से की जा रही है, इसीलिए इस काव्य पंक्ति में ‘उपमा अलंकार’ प्रकट हो रहा है। उपमा अलंकार में किसी काव्य में उपमेय की उपमान से किसी विशेष संदर्भ में तुलना की जाती है।
उपमा अलंकार की परिभाषा :
उपमा अलंकार की परिभाषा के अनुसार जब किसी काव्य में उपमेंय की उपमान से किसी विशिष्ट परिस्थितियों में तुलना की जाए तो वहां पर उपमा अलंकार प्रकट होता है।
उपमा अलंकार के चार अंग होते हैं :
उपमेय, उपमान, साधारण धर्म एवं वाचक
जिसकी तुलना की जाती है वह उपमेय कहलाता है जिस से तुलना की जाती है वह उपमान कहलाता है। जिस संदर्भ हेतु तुलना की जाती है वह साधारण धर्म कहलाता है तथा उपमेय और उपमान की तुलना करने के लिए जिस शब्द का प्रयोग किया जाता है, उसे वाचक कहते हैं।
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