बिरहा बिहार में अलंकार इस प्रकार होगा :
काव्य पंक्ति : बिरहा बिहार
अलंकार : अनुप्रास अलंकार
‘बिरहा बिहार’ इस पंक्ति में ‘अनुप्रास अलंकार’ हैं क्योंकि इस काव्य पंक्ति में ‘ब’ वर्ण की कुल दो बार पुनरावृत्ति हुई है।
अनुप्रास अलंकार की परिभाषा :
अनुप्रास अलंकार किसी काव्य में वहां पर प्रकट होता है, जब उस काव्य में किसी शब्द का प्रथम वर्ण अनेक शब्दों में प्रथम वर्ण के रूप में प्रयुक्त किया गया हो, अर्थात कोई वर्ण अनेक शब्दों का प्रथम वर्ण हो। इसके अतिरिक्त यदि अनुप्रास अलंकार में यदि कोई शब्द एक ही अर्थ के संदर्भ में काव्य पंक्ति में अलग-अलग जगह पर प्रयुक्त किया गया हो तो इस तरह के काव्य में अनुप्रास अलंकार होता है।
अलंकार की परिभाषा :
अलंकार से तात्पर्य किसी काव्य में सौदर्य का बोध बढ़ाने वाले शब्दों को कहते हैं। अंलकार किसी काव्य में आभूषण का कार्य करते है, और उस काव्य का सौंदर्य बिल्कुल उसी तरह बढ़ाते हैं जिस प्रकार आभूषण किसी स्त्री या पुरुष का सौंदर्य बढ़ाते हैं।
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