टीकाकरण
टीकाकरण यह चिकित्सकीय प्रक्रिया है, जिसमें एक प्रतिरोधक पदार्थ को सुई अथवा ड्रॉप के माध्यम से स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रत्यारोपित किया जाता है, ताकि उस व्यक्ति के शरीर में किसी संभावित रोग के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाए।
टीकाकरण किसी भी संभावित रोग के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने की एक चिकित्सकीय प्रक्रिया है। टीकाकरण शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता से तात्पर्य शरीर आंतरिक प्रतिरक्षा तंत्र की उस प्रणाली से होता है, जो शरीर में होने वाले रोग को पहचानने और उसे स्वयं ही ठीक करने का कार्य करती है।
टीकाकरण के द्वारा शरीर की इसी प्रतिरक्षा प्रणाली को और अधिक मजबूत किया जाता है, ताकि भविष्य में भी होने वाले किसी भी संभावित रोग से बचा जा सके।
किसी भी मनुष्य के लिए टीकाकरण इसलिए जरूरी है, क्योंकि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली हर तरह के जीवाणु के संक्रमण से उत्पन्न होने वाले रोग का बचाव नहीं कर सकती। टीकाकरण के माध्यम से संभावित रोग को उत्पन्न करने वाले रोगजन्य जीवाणु से ही टीका तैयार कर लिया जाता है और उसे शरीर में प्रत्यारोपित करके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को उस जीवाणु से अवगत करा दिया जाता है। इससे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली उस रोगजन्य जीवाणु से होने वाले रोग से स्वयं को पहले सी तैयार कर लेता है। भविष्य में यदि कभी उस रोगजन्य जीवाणु से उस व्यक्ति का शरीर संक्रमित होता है तो भी वह जीवाणु शरीर पर अपने रोग का विशेष प्रभाव नही डाल पाता है। इससे उस व्यक्ति का उस संभावित रोग से बचाव हो जाता है।
टीकाकरण का टीका बनाने के लिए अलग-अलग रोगों को उत्पन्न करने वाले जीवाणुओं की पहचान कर उन जीवाणुओं से अलग-अलग टीके बना लिए जाते हैं और फिर उन टीकों को मनुष्य को लगाकर उन रोगजन्य जीवाणु से होने वाले रोगों से सुरक्षित कर दिया जाता है।
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टीकाकरण क्या है? इसके बारे में लिखिए।