मिठाई वाले का स्वर रोहिणी के लिए परिचित स्वर इसलिए था, क्योंकि मिठाईवाला इससे पहले भी खिलौना वाला बनकर और मुरली वाला बनकर खिलौने और मुरली बेचने आ चुका था।
मिठाई वाले का स्वर हमेशा मीठा होता था यानि वह बड़ी मीठी आवाज लगाकर अपना सामाना बेचता था। इसीलिए जब रोहिणी को मिठाई वाले का मीठा स्वर सुनाई दिया तो उसे वह स्वर परिचित लगा।
रोहिणी ने अपने मकान की छत से खड़े होकर देखा तो कि मिठाई वाला मीठे स्वर में मिठाई बेचने की आवाज लगा रहा है। रोहिणी को लगा कि उसने यह आवाज पहले कही सुनी है। उसे यह स्वर जाना पहचाना लगा। फिर जब रोहिणी की बात मिठाई वाले से हुई तो रोहिणी का अनुमान सच निकला। रोहिणी द्वारा पूछने पर मिठाई वाले ने कहा, कि हाँ वह इससे पहले खिलौने और मुरली बेचने आया था। इसीलिए मिठाई वाले का स्वर रोहिणी को परिचित लगा।
संदर्भ पाठ :
पाठ – मिठाई वाला, कक्षा-7 पाठ-3
अन्य प्रश्न
इस तरह कभी-कभी अपने उन बच्चों की एक झलक-सी मिल जाती है। ऐसा जान पड़ता है। जैसे वे इन्हीं में उछल-उछलकर हँस-खेल रहे हैं । निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए।