मुंशी प्रेमचंद – उपन्यास सम्राट- महान कहानीकार – जीवन परिचय


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मुंशी प्रेमचंद

जीवन परिचय

मुंशी प्रेमचंद

 

मुंशी प्रेमचंद हिंदी साहित्य के सर्वकालिक महान लेखकों में सबसे ऊपर हैं। वह हिंदी साहित्य के अनमोल रत्न माने जाते हैं। उन्हे उपन्यास सम्राट, कहानी सम्राट, कथा सम्राट जैसे अनेक नामों की संज्ञा दी जाती है। उन्होंने ने हिंदी साहित्य को एक नई दिशा दी। उनसे अधिक लोकप्रिय हिंदी गद्य साहित्यकार (कहानी और उपन्यासों के लिये) कोई नहीं हुआ है।

मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय

हिंदी साहित्य के अनमोल रत्नों में सबसे पहला नाम प्रेमचंद का ही आता है। वह हिंदी और उर्दू में समान रूप से लेखन कार्य करते थे। उन्होंने हिंदी से पहले उर्दू में लेखन कार्य आरंभ किया था, लेकिन बाद में हिंदी भाषा में पूरी तरह लेखन कार्य करने लगे। उन्होंने अपनी कहानियों और उपन्यासों के माध्यम से तत्कालीन भारतीयों के आम जनजीवन को स्पर्श किया था।

उनकी रचनाओं में मध्ममवर्गीय और निम्नवर्गीय लोगों के जीवन की विसंगतियां होती थीं। उन्होंने अपनी रचनाओ के माध्यम से आम जनमानस की समस्याओं और व्यथायों को उकेरा है।  आम लोगों की समस्याओं और जनजीवन से केंद्रित आधारित रचनायें होने के कारण वे हर किसी के मन को भाती थीं।

उनकी की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आज हिंदी साहित्य का उल्लेख होने पर सबसे पहला नाम उन्ही का आता है। कोई ऐसा प्रकाशन नही है, जो उनकी रचनाओं को नही छापना चाहता हो। उन्होंने उर्दू में नवाबराय नाम से लेखन कार्य आरंभ किया था। उसके बाद वह हिंदी में प्रेमचंद के नाम से लिखते थे।

जन्म

प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को तत्कालीन संयुक्त प्रांत (वर्तमान उत्तर प्रदेश) के वाराणसी जिले के लमही नामक गाँव में हुआ था।

जीवन परिचय

मुंशी प्रेमचंद का असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। प्रेमचंद के पिता का नाम मुंशी अजायबराय तथा माता का नाम आनंदी देवी था। प्रेमचंद के पिता लमही के डाकघर में डाकमुंशी थे, इसीलिए उन्हें लोग मुंशी अजायब राय कहते थे।। इसी कारण प्रेमचंद को भी मुंशी प्रेमचंद कहा जाने लगा था।

उनका वास्तविक राय नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। उनकी की आरंभिक शिक्षा दीक्षा फारसी भाषा में हुई। फारसी के अलावा उनकी हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी भाषाओँ पर गहरी पकड़ थी।

जब वे मात्र 8 वर्ष के थे तब उनकी माता का निधन हो गया और उनके पिता ने दूसरा विवाह कर लिया। प्रेमचंद का विवाह भी बेहद कम आयु में हो गया था। मात्र 15 वर्ष की आयु में उनका विवाह कर दिया गया। 16 वर्ष की आयु होने पर उनके पिता का भी निधन हो गया। उनकी की अपनी पत्नी से बिल्कुल भी नहीं बनती थी और उनका प्रथम वैवाहिक जीवन सुखमय नहीं रहा। इसी कारण शीघ्र ही उनकी पत्नी से उनका तलाक हो गया।

1905 में उन्होंने शिवरानी देवी नामक विधवा स्त्री से विवाह किया। शिवरानी देवी से उनका वैवाहिक जीवन बेहद सुखमय रहा और उनके जीवन में काफी परिवर्तन ही आया।

प्रेमचंद के श्रीपत राय और अमृतराय नाम के दो पुत्र थे।

साहित्य यात्रा

प्रेमचंद बचपन से ही बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे।  यद्यपि वह उनका वास्तविक नाम धनपत राय था, लेकिन उन्होंने अपनी साहित्यिक यात्रा नवाब राय नाम से उर्दू भाषा में शुरू कर दी थी। वह सरकारी नौकरी करते थे और सरकारी सेवा करते हुए उन्होंने कहानियां लिखनी आरंभ कर दी थीं।

अनेक उर्दू पत्रिका में उनकी कहानियां छपती थीं। उन्होंने टॉलस्टॉय की कई कहानियों का हिंदी में अनुवाद भी किया था। सोजे वतन नाम का उनका प्रथम कहानी संग्रह था, जो अंग्रेजों द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया था, क्योंकि उस कहानी संग्रह में उन्होंने देशभक्ति से भरी बातों का जिक्र किया था, जो अंग्रेजों को पसंद नहीं आया था।

अंग्रेजों द्वारा उनके कहानी संग्रह को प्रतिबंधित कर दिए जाने के बाद उन्होंने हिंदी भाषा में लेखन कार्य आरंभ किया और मुंशी प्रेमचंद नाम से हिंदी भाषा में लेखन कार्य करने लगे। हिंदी में उन्होंने लगभग 15 उपन्यास और 300 से अधिक कहानियां लिखी।।

उन्होंने इसके अलावा तीन नाटक भी लिखे थे। उन्होंने सात बाल साहित्य से संबंधित पुस्तकों की भी रचना की। उन्होंने अनेक तरह के लेख लिखे, संपादकीय लिखे, भाषण आदि की रचना की, लेकिन उनकी कहानियां और उपन्यास सबसे अधिक प्रसिद्ध हुए। जिसकी वजह से उन्हें पहचान मिली।

उन्होंने ने 1923 में सरस्वती प्रेस की स्थापना की और 1930 में हंस प्रकाशन आरंभ किया। उन्होंने 1930 हंस पत्रिका का भी आरंभ किया। इसके अलावा मर्यादा, जागरण,  माधुरी जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं का संपादन किया।

उनकी जो कहानियां बड़ी प्रसिद्ध हुई उनमें नमक का दरोगा, बड़े घर की बेटी, दो बैलों की आत्मकथा, मंत्र, कफन, बड़े भाईसाहब, ईदगाह आदि के नाम बेहद प्रसिद्ध हैं।

सेवासदन उनका पहला हिदी उपन्यास था। गोदान उपन्यास प्रेमचंद का अंतिम पूर्ण उपन्यास था।

मंगलसूत्र उनके द्वारा लिखा गया अंतिम उपन्यास था लेकिन ये वह पूरा नही कर पाये और उनके निधन के बाद उनके पुत्र अमृतराय ने इसे पूर्ण किया था।

कृतियां

उपन्यास
  • गोदान
  • गबन
  • कर्मभूमि
  • रंगभूमि
  • कायाकल्प
  • प्रतिज्ञा
  • प्रेमाश्रम
  • अलंकार
  • सेवासदन
  • निर्मला
  • मंगलसूत्र
  • सप्तसरोज
  • समर यात्रा
  • नव-निधि
  • पाँच फूल
  • संग्राम
प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानियाँ
  • नमक का दरोगा
  • ईदगाह
  • पूस की रात
  • गुल्ली डंडा
  • बड़े घर की बेटी
  • दो बैलों की आत्मकथा
  • कफन
  • मंत्र
  • प्रायश्चित
  • बड़े भाईसाहब
प्रेमचंद की सभी कहानियाँ

प्रेमचंद की कहानियाँ सूची

पुरुस्कार एवं सम्मान

मुंशी प्रेमचंद की स्मृति में भारतीय डाक विभाग में 31 जुलाई 1980 को उनके जन्मशती के अवसर 30 पैसे के मूल्य का डाकटिकट जारी किया था। प्रेमचंद गोरखपुर के जिस विद्यालय में अध्यापक थे, उस विद्यालय में ‘प्रेमचंद साहित्य संस्थान’ की स्थापना की गई है। यहां पर प्रेमचंद के जीवन से संबंधित वस्तुओं का एक संग्रहालय भी स्थापित किया गया है।

प्रेमचंद की 125 वीं सालगिरह पर वाराणसी में उनके गाँव में प्रेमचंद के नाम पर एक स्मारक तथा शोध एवं अध्ययन संस्थान बनाने का भी निर्णय लिया गया था।

देहावसान

8 अक्टूबर 1936 को बीमारी के कारण उनका देहावसान हो गया।

प्रेमचंद भारतीयों विशेषकर हिंदी साहित्य प्रेमी के ह्रदय में सदा वास करते रहेंगे। वह अपनी कालजयी कहानियों और उपन्यासों के माध्यम से सबके हृदय में जीवित हैं।


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