पल्लवन
परिश्रम ही सफलता की कुंजी है
परिश्रम ही सफलता की कुंजी है इस वाक्य का सामान्य अर्थ यही होगा कि परिश्रम करने से ही सफलता मिलती है। सफलता का मूल मंत्र परिश्रम है। बिना परिश्रम के किसी भी प्रकार की सफलता नहीं प्राप्त होती। अपने जीवन में सफल होने के लिए हमें परिश्रम करना ही पड़ेगा।
‘परिश्रम ही सफलता की कुंजी है’ इसका पल्लवन प्रकार होगा…
समीर अपनी कक्षा का सबसे कमजोर विद्यार्थी था। पढ़ाई में हमेशा आता और परीक्षा में उसके बेहद कम अंक आते थे। उसके माता-पिता भी इस समस्या से परेशान थे। हालांकि समीर लापरवाह बालक नहीं करना चाहता था लेकिन मैं अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान नहीं दे पाता था। वह चाहता था कि उसके भी और कक्षा अध्यापक शाबाशी दे। उसकी भी कक्षा में सराहना हो।
अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं हुई। जैसे ही परीक्षा परिणाम आया तो समीर के पूरी कक्षा में सबसे कम अंक आए थे। कक्षाध्यापक में उसको कम अंक आने को लेकर बेहद डांटा। कक्षा के कारण छात्र उसे देख कर व्यंग्य से मुस्कुरा रहे थे। समीर को अपनी कक्षा में बेहद लज्जित होना पड़ा। वह रोते हुए घर आया। उसके माता-पिता सारी बात समझ गए।
रात में जब वह अपने कमरे में गुमसुम उदास बैठा था तो उसके पिता उसके पास आए और उसे समझाया कि बेटा तुम कक्षा में अच्छे अंक तो लाना चाहते हो लेकिन ला नहीं पाते इसका कारण तुम जानते हो क्या है?
समीर बोला, हाँ पिताजी मैं जानना चाहता हूँ।
पिता ने कहा, बेटा किसी भी कार्य में सफलता बिना परिश्रम के नहीं मिलती। हमें अपने जीवन में सफल होने के लिए कठोर परिश्रम करना पड़ता है। मैंने तुम्हारी दैनिक दिनचर्या देखी है। तुम स्कूल से जब घर आते हो फिर खेलने निकल जाते हो। शाम को थोड़ी देर ही पढ़ाई करते हो फिर टीवी देखने लगते हो या मोबाइल में गेम खेलने में बिजी हो जाती हो। तुम पढ़ाई करते हो लेकिन उतने कड़े परिश्रम से पढ़ाई नहीं करते जो कि अच्छे अंक लाने के लिए करनी चाहिए। आज कम आने के कारण तुम्हारा कितना अपमान हुआ यदि तुम आज से ही मन में ठान लो कि मैं वार्षिक परीक्षा में अच्छे अंक लाकर दूंगा और उसी प्रण को मन में रखकर कठोर परिश्रम करना शुरू कर दो तो तुम्हें परीक्षा में सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।
समीर के मन पर अपने पिता की बातों का बड़ा ही असर हुआ। उसने उसी दिन से अपनी पढ़ाई में कठोर परिश्रम करने का संकल्प ले लिया और दिन-रात पढ़ाई में जुट गया।
उसके कठोर परिश्रम का परिणाम यह हुआ कि जब वार्षिक परीक्षा हुई तो वह अपने कक्षा में प्रथम आया था। उसे आज परिश्रम का महत्व पता चल गया था। आज वह एक सफल छात्र था।उसने जान लिया था कि परिश्रम ही सफलता की कुंजी है।
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