Wednesday, October 4, 2023

भाषा किसे कहते हैं? भाषा के कितने रूप है? लिखित भाषा किसे कहते हैं? मौखिक भाषा किसे कहते हैं?​
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भाषा की परिभाषा और भाषा के रूप

भाषा तात्पर्य विचारों की अभिव्यक्ति से होता है। भाषा अभिव्यक्ति को व्यक्त करने का वह साधन है, जिसके माध्यम से मनुष्य बोलकर, सुनकर देखकर या पढ़कर अपने मन के भावों और विचारों को व्यक्त करता है।

सरल अर्थों में कहें तो भाषा शब्दों के माध्यम से अभिव्यक्ति को व्यक्त करने का माध्यम है। भाषा मनुष्य को आपस में एक-दूसरे से संपर्क स्थापित करने में भी सहायता प्रदान करती है। भाषा के माध्यम से विचारों और भावों को व्यक्त किया जाता है।

भाषा के तीन मुख्य रूप होते हैं,

  • लिखित भाषा
  • मौखिक भाषा
  • सांकेतिक भाषा

लिखित भाषा : लिखित भाषा वह भाषा है, जिसे शब्दों के माध्यम से कागज पर उकेरा जाता है अर्थात जो शब्द कागज पर लिखे जाते हैं, वह लिखित भाषा है। लिखित भाषा किसी भी भाषा का सबसे विकसित रूप होती है। जब कोई भाषा अपनी पूर्ण विकसित अवस्था में पहुंच जाती है तो वह लिखित भाषा का रूप भी ले लेती है। लिखित भाषा भाषा का सर्वोत्तम विकसित रूप होती है, जो भाषा के विकास की सर्वोच्च अवस्था मानी जाती है। जब भाषा लिखित भाषा बन जाती है तो वह व्याकरण के नियमों से भी बंध जाती है।  हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी आदि सभी लिखित भाषाएं हैं।

मौखिक भाषा : मौखिक भाषा भाषा है, जो केवल बोली और सुनी जाती है। मौखिक भाषा को बोलकर अभिव्यक्त किया जाता है। जैसे दो व्यक्ति आपस में वार्तालाप कर रहे हैं, तो वह मौखिक भाषा का प्रयोग कर रहे हैं। मौखिक भाषा लिखित भाषा का मौखिक रूप है, लेकिन जरूरी नहीं कि सारी भाषाएं लिखित भाषा बनें। बहुत सी भाषा केवल बोली तक सीमित रह जाती हैं, उनकी लिपि या व्याकरण आदि विकसित नही हो पाता। जब कोई बोली लिपि के रूप में विकसित होती जाती है, तो वह लिखित भाषा बन जाती है। किसी भाषा को मौखिक रूप में प्रयोग करना भी मौखिक भाषा का उदाहरण है।

सांकेतिक भाषा : सांकेतिक भाषा वह भाषा होती है, जो ना लिखी जाती है, ना बोली जाती है। इस भाषा को अभिव्यक्त करने के लिए शरीर के अंगो का इस्तेमाल करना पड़ता है। हाथ, पैर, आँख, नाक, कान आदि के माध्यम से विशेष इशारों एवं मुद्राओं द्वारा जो भाषा अभिव्यक्ति जाती है, वह सांकेतिक भाषा कहलाती है।

विशेष प्रतीक चिन्हों द्वारा जो भाषा अभिव्यक्ति जाती है, वह संकेतिक भाषा कहलाती है। मूक-बधिरों द्वारा प्रयोग की जाने वाली भाषा अथवा सड़क पर किनारे पर यातायात के सुचारू संचालन के लिए लगाए गए सांकेतिक चिन्ह वाले बोर्ड अथवा किसी भी संस्थान में दिशा-निर्देश वाले सांकेतिक चिन्हों वाले बोर्ड आदि संकेतिक भाषा का ही रूप है। सांकेतिक भाषा में शब्द नहीं होते बल्कि प्रतीक चिन्ह होते हैं।

 


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