‘मोर मुकुट’ में जो अलंकार प्रयुक्त किया गया है, वो इस प्रकार है :
मोर मुकुट : अनुप्रास अलंकार
ये पंक्तियां मीरा के दोहे से ली गय हैं। इस काव्य की पूरी पंक्ति इस प्रकार है :
मोर मुकुट मकराकृत कुंडल, अरुण तिलक दिये भाल।
इस पंक्ति में अनुप्रास अंलकार हैं, क्योंकि इस पंक्ति में ‘मोर मुकुट’ इस शब्द में ‘म’ वर्ण की तीन बार आवृत्ति हुई है। यानि इन शब्दों का पहला वर्ण ‘म’ है।
अचल दीपक समान में रहना अलंकार है?
अनुप्रास अलंकार किसी काव्य में वहां पर प्रकट होता है, जब उस काव्य में किसी शब्द का प्रथम वर्ण अनेक शब्दों में प्रथम वर्ण के रूप में प्रयुक्त किया गया हो, अर्थात कोई वर्ण अनेक शब्दों का प्रथम वर्ण हो।
दूसरा नियम ये है कि कोई समान शब्द एक ही अर्थ के संदर्भ में कुछ काव्य पंक्ति में अलग-अलग जगह पर प्रयुक्त किया गया हो। इस तरह के काव्य में अनुप्रास अलंकार होता है।
‘दीरघ-दाघ निदाघ’ में अलंकार है (क) श्लेष (ख) उपमा (ग) यमक (घ) अनुप्रास।
अलंकार से तात्पर्य किसी काव्य में शब्दों के सौंदर्य से है। अलंकार किसी काव्य के लिये आभूषण का कार्य करते हैं, जो किसी काव्य का सौंदर्य बढ़ाते हैं।
जहाँ उपमेय को उपमान से श्रेष्ठ बताया जाए, वहाँ कौन-सा अलंकार होता है?