स. चिरंजीवी रहने का
सूरदास के पदों के आधार पर कहे तो सूरदास पदों में माता यशोदा के माध्यम से कृष्ण को चिरंजीवी रहने का आशीर्वाद देते हैं।
विस्तार से
सूरदास अपने पदों में कहते हैं कि जब माता यशोदा श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं से रीझ जाती हैं, तो श्रीकृष्ण की भोली और बाल सुलभ बातें सुनकर पुलकित भाव से माता यशोदा उन्हें चिरंजीवी रहने का आशीर्वाद देती हैं।
श्रीकृष्ण अपने बड़े भाई बलराम की तरह लंबी और मोटी चोटी चाहते हैं। उनके भाई बलराम की नहाते समय जैसी लंबी चोटी नागिन की तरह बल खाती है, वैसे चोटी वह भी चाहते हैं और माता यशोदा से इसी तरह की चोटी बनाने के लिए कहते हैं। वे माता यशोदा से शिकायत करते हैं कि उनके बाल इतने बड़े क्यों नहीं हो रहे और बलराम दाऊ की तरह की चोटी क्यों नहीं बन रही।
श्रीकृष्ण की बाल सुलभ बातों को सुनकर माता यशोदा उन्हें समझाती है और ममता से भरकर उन्हें चिरंजीवी होने का आशीर्वाद देती है।
निष्कर्ष
इस तरह सूरदास अपने पदों में माता यशोदा के माध्यम से श्रीकृष्ण को चिरंजीवी होने का आशीर्वाद देते हैं।
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