‘कवि बिहारी’ के दोहों को रामचंद्र शुक्ल ने हिंदी साहित्य का रत्न कहा है।
‘रामचंद्र शुक्ल’ के कथन के अनुसार ‘शृंगार रस के ग्रंथों में जितनी ख्याति और जितना मान ’बिहारी सतसई’ का हुआ उतना और किसी का नहीं। इसका एक-एक दोहा हिन्दी साहित्य में एक-एक रत्न माना जाता है।
कवि बिहारी
कवि बिहारी हिंदी साहित्य के एक प्रसिद्ध कवि थे। वह रीतिकाल के कवि थे। उनके द्वारा रचित ग्रंथ ‘बिहारी सतसई’ बेहद प्रसिद्ध ग्रंथ हैं, जोकि उनके द्वारा रचित सबसे प्रमुख ग्रंथ था। ‘बिहारी सतसई’ एक मुक्तक काव्य था। इसमे लगभग 719 दोहों का संकलन है। इन्हीं दोहों पर आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने अपना कथन व्यक्त किया था।कवि बिहारी का जन्म 1595 ईस्वी में ग्वालियर में हुआ था। उनकी मृत्यु 1663 में हुई। कवि बिहारी का पूरा नाम बिहारी लाल चौबे था। उनके पिता का नाम केशव राय था। उनके गुरु का नाम नरहरिदास था। कवि बिहारी का बचपन बुंदेलखंड में बीता था।
आचार्य रामचंद्र शुक्ल
आचार्य रामचंद्र शुक्ल हिंदी साहित्य के एक प्रसिद्ध आलोचक, कहानीकार, निबंधकार, साहित्यकार, कोशकार, अनुवादक और कवि रहे हैं। उन्होंने अनेक ग्रंथों पर अपनी टीका टिप्पणी की है।
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