‘नीलू’ पाठ हिन्दी साहित्य की कौन सी गद्य विधा है?

‘नीलू’ पाठ हिंदी साहित्य की ‘कहानी’ विधा है।
विस्तृत व्याख्या :

‘नीलू’ पाठ महादेवी वर्मा द्वारा लिखी गई एक संस्मरणात्मक कहानी है। इस कहानी के माध्यम से लेखिका महादेवी वर्मा ने अपने जीवन के एक संस्मरण का वर्णन किया है।

‘नीलू’ कहानी में उन्होंने नीलू नाम के एक कुत्ते का वर्णन किया है, जिसे लेखिका ने अपने घर पाला था। उसकी माँ लूसी नाम की एक कुतिया थी, जो लेखिका के घर के पास ही रहती थी। दो बच्चों को जन्म देने बाद लूसी एक दिन कहीं गायब हो गयी। एक बच्चा मर गया और दूसरे बच्चे को लेखिका ने पाला था। लेखिका ने नीलू नाम के उसी कुत्ते के साथ बिताये गये संस्मरणों का वर्णन किया है।

लेखिका महादेवी वर्मा के बचपन के समय लड़कियों के प्रति समाज की सोच कैसी थी? ‘मेरे बचपन के दिन पाठ’ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

महादेवी वर्मा

महादेवी वर्मा हिंदी साहित्य की महान लेखिका रही हैं, जिन्होंने कविता और कहानियों के माध्यम से अपनी विशिष्ट उपस्थिति दर्ज कराई है। वह हिंदी साहित्य के छायावाद युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक मानी जाती हैं।

उन्हें जीव-जंतुओं से बड़ा प्रेम था। जीव जंतुओं पर आधारित उन्होंने अनेक कहानियां लिखी हैं।  उन्होंने अनेक तरह के जीव जंतु अपने घर में पाले और उन पर आधारित संस्मरण लिखे हैं। इनमें गिल्लू, गौरा, नीलकंठ आदि के नाम प्रमुख हैं।

महादेवी वर्मा के जन्म के समय लड़कियों की दशा कैसी थी? आज उसमे क्या परिवर्तन आया हैं?​

निष्कर्ष :

इस तरह स्पष्ट होता है कि ‘नीलू’ हिंदी साहित्य की ‘कहानी’ गद्य विधा है, और एक संस्मरणात्मक कहानी है।


कुछ और जानें

 

नीलकंठ’ कहानी के द्वारा लेखिका क्या संदेश देना चाहती हैं? 60-80 शब्द लिखिए।

मधुर मधुर मेरे दीपक जल : महादेवी वर्मा (कक्षा-10 पाठ-6 हिंदी स्पर्श 2)

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