निबंध
दीपावली
दीपावली हिंदुओं का एक प्रसिद्ध त्योहार है। यह भारत का सबसे बड़ा त्यौहार है, जो हिंदुओं का सबसे बड़ा त्यौहार है। आमतौर पर सभी त्योहार एक दिन के होते हैं लेकिन दीपावली एक ऐसा त्यौहार है, जो 5 दिन तक हर्षोल्लास से मनाया जाता है। आइए दीपावली के विषय में जानते हैं।
दीपावली भारत के सबसे प्रमुख और बड़े त्योहारों में एक त्योहार है। यह त्यौहार भारत का सबसे बड़ा त्यौहार है। यह हिंदुओं का सबसे प्रसिद्ध त्योहार है। दीपावली प्रकाश का पर्व है। इस दीप जलाकर रोशनी की जाती है। यह हर्ष और उल्लास एवं खुशी का पर्व है। यह सुख समृद्धि के आगमन का पर्व है। इस दिन हिंदू धर्म के अनुयाई लक्ष्मी-गणेश की पूजा करते हैं, इससे घर में सुख-समृद्धि का आगमन हो।
दीपावली का अर्थ है, दीप + आवली अर्थात दीपों की श्रंखला। चूँकि इस दीपों को श्रंखला (पंक्ति) में सजाकर जलाया जाता है इसलिये इस त्योहार को दीपावली या दीवाली कहते हैं।
दीपावली कब मनाई जाती है?
दीपावली का त्योहार हिदु पंचाग कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। मुख्य त्योहार इसी दिन मनाया जाता है। पाँच दिवसीय दीपावली कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि से आरंभ होकर कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि तक मनाया जाता है।
दीपावली का त्यौहार पाँच दिवसीय त्यौहार है जो कि धनत्रयोदशी से आरंभ होकर भाईदूज तक सम्पन्न है। पहले दिन धनत्रयोदशी मनाई जाती है दूसरे दिन छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी, तीसरे दिन मुख्य दिवाली अर्थात लक्ष्मी-गणेश पूजन, चौथे दिन गोवर्धन पूजा तथा पाँचवें दिन भाई दूज का पर्व मनाया जाता है।
दीपावली की तैयारी
दीपावली की तैयारी लोग काफी समय पहले से करने लगते हैं। दीपावली से पहले लोग अपने घरों की पूरी तरह साफ-सफाई करते हैं और घरों की पुताई-रंगाई पुताई करते हैं। इस तरह घर पूरी तरह साफ एवं चमकदार हो जाता है। दीपावली का त्यौहार स्वच्छता का भी प्रतीक है, क्योंकि इस कारण लोग अपने घरों को नए सिरे से स्वच्छ एवं सुंदर बनाते हैं।
दीपावली क्यों मनाते हैं ?
दीपावली से जुड़ी सबसे प्रमुख कथा यह है कि इसी दिन भगवान श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण एवं पत्नी माता सीता के साथ 14 वर्ष का वनवास बिताकर वापस अपने राज्य अयोध्या लौटे थे। उनके वापस आने की खुशी में अयोध्या वासियों ने पूरे नगर में दीप जलाए थे। तब से दीपावली मनाने का प्रचलन चल पड़ा।
मुख्य दीपावली से पहले नरक चतुर्दशी, धनत्रयोदशी तथा दीपावली के मुख्य दिन के बाद गोवर्धन पूजा और भाई दूज के त्यौहार भी अलग-अलग मान्यताओं के कारण जुड़ गए और यह पाँच दिवसीय पर्व बन गया।
दीपावली कैसे मनाते हैं?
दीपावली धनत्रयोदशी से शुरू होता है। इस दिन यह मान्यता है कि सोने अथवा चाँदी के आभूषण, वस्तुएं, बर्तन आदि खरीदना शुभ होता है। इस दिन लोग बाजार से सोने-चाँदी के आभूषण अथवा बर्तन आदि की खरीदारी करते हैं। लोग अपनी-अपनी सामर्थ्य अनुसार खरीदारी करते है। यह समृद्धि के आगमन का सूचक होता है। इस दिन घर के बाहर दीप जलाने की शुरुआत हो जाती है।
अगले दिन नरक चतुर्दशी के दिन छोटी दिवाली का पर्व मनाया जाता है और छोटी-मोटी पूजा संपन्न की जाती है। मुख्य दिवाली तीसरे दिन आती है। इस दिन व्यापारी वर्ग के लोग अपने व्यापार संस्थान, दुकान आदि पर लक्ष्मी-गणेश के पूजन का कार्य करते हैं और नये व्यापारिक बहीखातों का आरंभ करते हैं।
शाम को उचित मुहूर्त होने पर घर में सभी लोग लक्ष्मी-गणेश के पूजन संपन्न करते हैं। लक्ष्मी गणेश का पूजन करने के बाद लोग पूरे घर में दीप जलाते हैं। इस दिन पूरा घर और आसपास का क्षेत्र दीपों से जलाकर जगमग कर दिया जाता है। घर के कोने कोने में दीप जलाए जाते हैं, ताकि अंधेरे का नामोनिशान ना रहेष इसी कारण दीपावली को प्रकाश का पर्व कहा जाता है। दीपोत्सव के बाद लोग नए कपड़े आदि पहनकर आतिशबाजी जलाते हैं, मिठाई खाते हैं।
अपने प्रियजनों संबंधी आदि से मिठाई का आदान-प्रदान करते हैं। इस दिन घर में नए-नए पकवान एवं मिठाइयां बनती हैं तथा शाम को सभी हर्षोल्लास से दीपावली का पर्व मनाते हैं।
चौथे दिन गोवर्धन पूजा संपन्न की जाती है। ये दिन भगवान श्री कृष्ण के गोवर्धन पर्वत उठा लेने से संबंधित कथा से जुड़ा हुआ है। पाँचवें दिन भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक के रूप में भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। जिसमें बहनें अपने भाई की दूज करती है और उन्हें उपहार देती हैं। इस तरह दिवाली का पाँच दिवसीय पर्व संपन्न होता है।
दीपावली भारत के अलग-अलग हिस्सों में थोड़े दिन विभिन्न रूपों में मनाई जाती है लेकिन मुख्य रूप से बनाने का तरीका लगभग समान ही होता है। दीपावली के दिन गुझिया, मिठाईयां तथा अन्य कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं और सभी लोग अपने मित्र प्रिय जनों के यहाँ मिठाईयाँ, गुझिया, पकवान आदि भेजते हैं। दीपावली के दिन पटाखे बड़ी मात्रा में जलाए जाते हैं।
दीपावली के अलग-अलग रूप
सिख धर्म के अनुयाई दीपावली को प्रकाश पर्व के रूप में मनाते हैं।भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में दीपावली थोडे भिन्न रूपों में मनाई जाती है। पूरे उत्तर भारत में दीपावली का त्यौहार पाँच दिवसीय त्योहार के रूप में पूरे जोश खरोश एवं हर्षोल्लास से मनाया जाता है।
दीपावली त्यौहार के साथ कुछ बुराइयां भी जुड़ गए हैं, क्योंकि इस दिन लोग पटाखे बहुत अधिक जलाने लगे हैं। पहले पटाखे सांकेतिक तौर पर बेहद कम मात्रा में जलाए जाते थे। अब लोग पटाखों का अत्याधिक प्रयोग करने लगे हैं, जिससे ध्वनि प्रदूषण एवं वायु प्रदूषण अधिक मात्रा में होने लगा है। पटाखें प्रदर्शन का की वस्तु बन गए हैं। इसके अतिरिक्त दीपावली के दिन जुआ खेलने का भी प्रचलन होने के कारण इसके साथ यह सामाजिक बुराई भी जुड़ गई है।
उपसंहार
त्योहार अपने मूल रूप में मनाए जाने चाहिए। दीपावली का त्यौहार एवं हर्ष उल्लास का पर्व है। इस दिन न केव ल हम अपने घर में उजाला करें बल्कि उन लोगों के घर में उजाला करें जो अपने आर्थिक अभाव के कारण अपने घरों में उजाला नहीं कर पाते तभी दीपावली का अर्थ सार्थक होगा।
दीपावली का त्यौहार हम सब मिलकर बनाएं और के साथ खुशियां बांटे यही दीपावली त्योहार का असली संदेश है।
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