प्रतिवेदन किसे कहते हैं? ये कितने प्रकार के होते हैं?

प्रतिवेदन की परिभाषा

प्रतिवेदन से तात्पर्य किसी घटना अथवा किसी गतिविधि की क्रमिक जानकारी या विवरण से होता है। जब किसी घटना या गतिविधि के संबंध में एक व्यवस्थित जानकारी प्रस्तुत की जाती है, तो उसे ‘प्रतिवेदन’ कहते हैं। प्रतिवेदन को अंग्रेजी में ‘रिपोर्ट’ कहा जाता है।

विद्यालय में आयोजन हेतु बालमेले का एक प्रतिवेदन लिखिए।

प्रतिवेदन के लिए उस घटना की गहन जांच आवश्यक होती है। यह जांच तथ्यों पर आधारित होती है। प्रतिवेदन को प्रस्तुत करने वाला व्यक्ति को प्रतिवेदक कहते हैं।

प्रतिवेदन लिखते समय तथ्यों और उस घटना की पूरी जानकारी और लेखा-जोखा प्रस्तुत करने के साथ यदि आवश्यक हो तो संबंधित सुझाव भी दिए जाते हैं। यदि प्रतिवेदन किसी प्रश्न के समाधान के संदर्भ में प्रस्तुत किया गया है, तो उन प्रश्नों का संतोषजनक उत्तर भी दिया जाता है। प्रतिवेदन किसी एक व्यक्ति द्वारा प्रस्तुत किया जा सकता है अथवा व्यक्ति के समूह द्वारा प्रस्तुत किया जा सकता है।

अपने विद्यालय में मनाए गए वार्षिकोत्सव पर (5) एक प्रतिवेदन तैयार कीजिए.

प्रतिवेदन तीन प्रकार के होते हैं

  • व्यक्तिगत प्रतिवेदन
  • संगठनात्मक प्रतिवेदन
  • विवरणात्मक प्रतिवेदन

व्यक्तिगत प्रतिवेदन : जब प्रतिवेदन व्यक्तिगत रूप से लिखा जाता है जो किसी व्यक्ति विशेष के संदर्भ में प्रस्तुत किया जाता है या किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत जीवन पर आधारित होता है तो वह प्रतिवेदन व्यक्तिगत प्रतिवेदन कहलाता है। कोई व्यक्ति जब स्वयं के विषय में प्रतिवेदन लिखता है तो वह प्रतिवेदन डायरी भी बन जाता है।

संगठनात्मक प्रतिवेदन : जो प्रतिवेदन संस्था या संगठन की गतिविधियों के विषय में प्रस्तुत किया जाता है, तो उसे संगठनात्मक प्रतिवेदन कहते हैं।

विवरणात्मक प्रतिवेदन : जब प्रतिवेदन किसी घटना, समारोह, मेला, इवेंट, रैली आदि के संबंध में लिखा जाता है, तो उस विवरणात्मक प्रतिवेदन कहते हैं।

प्रतिवेदन लिखते समय ध्यान देने योग्य बातें
  • प्रतिवेदन लिखते समय प्रतिवेदन का शीर्षक प्रतिवेदन के विषय से मेल खाता हो।
  • प्रतिवेदन हमेशा स्पष्ट तथा सरल भाषा में लिखना चाहिए।
  • प्रतिवेदन बहुत अधिक लंबा नहीं लिखना चाहिए और उसमें मुख्य आवश्यक बिंदुओं का उल्लेख करते हुए संक्षिप्त रूप में लिखना चाहिए। प्रतिवेदन को बेवजह लंबा नहीं करना चाहिए।
  • प्रतिवेदन में जो भी तथ्य प्रस्तुत किए जाएं, वह प्रमाणिक हों। प्रतिवेदन लिखते समय संबंधित घटना और तथ्यों की पूरी तरह जांच कर लेनी चाहिए।
  • प्रतिवेदन लिखने के समय यदि उसमें कोई सुझाव प्रस्तुत किए गए हैं तो उचित सुझाव प्रतिवेदन के अंत में अवश्य देना चाहिए जो कि निष्कर्ष के रूप में हो सकते हैं।
  • प्रतिवेदन प्रथम पुरुष के रूप में प्रयुक्त करते हुए नहीं लिखा जाता है।

 

आपके पिताजी के द्वारा घर पर कुछ साहित्यकारों को कल आमंत्रित किया गया है। इस अवसर पर हिन्दी भाषा के अध्ययन विषय पर परिचर्चा हुई है। उस परिचर्चा का प्रतिवेदन प्रस्तुत कीजिए।

विद्यालय में आयोजित खेल कूद प्रतियोगिता पर एक प्रतिवेदन।

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