‘चरणों में सागर रहा डोल’ से आशय यह है कि भारत माता के सिर पर जहां हिमालय रूपी मुकुट है, वहीं भारत माता के चरणों में विशाल सागर लहरा रहा है।
भारत माता अपने सिर पर हिमालय रूपी मुकुट लिए खड़ी है, जोकि भारत की उत्तरी दिशा में है। वहीं भारत की दक्षिण दिशा में अथाह विशाल सागर लहरा रहा है अर्थात भारत माता के चरणों में सागर डोल रहा है।
कवि ने भारत माता के स्वरूप का वर्णन करते हुए कहा है कि भारत के नक्शे पर भारत माता के चित्र को उकेरा जाए तो ऐसा प्रतीत होता है कि भारत माता के सिर पर हिमालय रूपी मुकुट है और उनके चरणों में भारत की दक्षिण दिशा में भारत माता के चरणों में सादर डोल रहा है। भारत के नक्शे में भारत के दक्षिण में अथाह विशाल सागर है। कवि ने इसी को प्रतीक बनाकर भारत के स्वरूप का वर्णन करते हुए भारत माता के चरणों में सागर डोलने की बात कही है।
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