“लक्ष्य सिद्धि का मानी कोमल कठिन कहानी।
“संदर्भ : यह पंक्तियां कवि ‘मैथिली शरण गुप्त’ द्वारा रचित कविता “माँ, कह एक कहानी” से ली गई हैं। यह पंक्तियां उस समय की हैं, जब यशोधरा अपने पुत्र राहुल को उसके पिता सिद्धार्थ द्वारा घायल राजवंश की रक्षा करने के प्रसंग का वर्णन कर रही हैं।व्याख्या : राहुल यशोधरा से कहता है कि उसेयानी शिकारी को अपने लक्ष्य सिद्धि यानी अचूक निशाना लगने की सफलता पर इतना अभिमान था। निश्चित यह कहानी कोमल भी है और कठोर भी है।
पूरा पद्यांश इस प्रकार है…
“चौंक उन्होंने उसे उठाया,
नया जन्म सा उसने पाया,
इतने में आखेटक आया,
लक्ष्य सिद्धि का मानी।”
“लक्ष्य सिद्धि का मानी।
कोमल कठिन कहानी।
”व्याख्या : सिद्धार्थ ने अचंभित होकर घायल हुए हंस को अपनी गोद में उठा लिया। हंस को ऐसा लगा जैसे उसे कोई नया जन्म प्राप्त हुआ हो। उसी समय उसको घायल करने वाला शिकारी भी वहाँ आ गया। शिकारी को अपने अचूक निशाने पर बेहद घमंड था। वह घमंडपूर्वक सिद्धार्थ से हंस को मांगने लगा। राहुल ने अपनी माँ से यह कहानी सुनी तो राहुल कहने लगा कि जहाँ एक तरफ शिकारी को अपने लक्ष्य सिद्धि अर्थात अचूक निशाने का अभिमान था,वहीं दूसरी तरफ उसके पिता में घायल हंस की रक्षा करने की कोमल संवेदना थी। निश्चित ही ये कहानी कोमलता और कठोरता का समन्वय है।
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