‘हम सब में है मिट्टी इस कथन’ से कवि का अभिप्राय यह है कि मनुष्य का यह शरीर नश्वर है। हम सभी का शरीर मिट्टी से बना है, जिसे एक दिन मिट्टी में ही मिल जाना है। यानी जो हमारा शरीर है, वह मिट्टी ही है यानी हमारी ये काया मिट्टी की काया है, जो अपना जीवन चक्र पूजा करके मिट्टी में ही मिल जाएगी। इसीलिए इस मिट्टी की काया पर इतना अभिमान नहीं करना चाहिए।
हमें इस बात को नहीं भूलना चाहिए कि हमारा शरीर नश्वर है। हम सदैव इस धरती पर नहीं रहने वाले है। एक ना एक दिन सबको जाना है और मिट्टी में मिल जाना है। इसीलिए हमेशा ऐसे काम करके जाओ जो लोग याद रखें।
शरीर को लोग भूल जाएंगे लेकिन उस शरीर द्वारा किए गए अनमोल कार्यों को लोग नहीं भूलेंगे। इसीलिए शरीर पर नहीं अपने कार्यों पर ध्यान दो।
ये भी देखें…
आशय कीजिए- यह वह समय है जब बच्चे मनाते होगा-काश! उसके पिता अनपढ होते ।
आशय स्पष्ट करो- (क) पापी संसार में जन्म लिया है, पापी बनकर रह रही हूँ।