लेखिका ने इस पंक्ति के माध्यम से बहुत ही गहरी बात व्यक्त की है। इस पंक्ति में बेहद गूढ़ अर्थ छिपा हुआ है। जब सफिया भारत लौटते समय अमृतसर के स्टेशन पर चढ़ती है, तब उसके मन में यह विचार उठता है कि सिख बीवी दिल्ली में रहने के बावजूद लाहौर को अपना वतन बताती है। लाहौर का कस्टम ऑफिसर दिल्ली को अपना वतन बताता है तो अमृतसर का कस्टम ऑफिसर ढाका को अपना वतन बताता है, जबकि सब लोग अलग-अलग देशों में रह रहे हैं। यानी देशों के बंटवारे के बावजूद उनके दिलों का बंटवारा नही हुआ है। उनका मन अभी भी अपनी जन्मभूमि में लगा हुआ है। इस बात से सफिया असमंजस में है कि कौन सा देश किसका है, यह बात उसे समझ नहीं आ रही। इस बात से यह स्पष्ट होता है कि जमीन पर लकीरें खींच देने के बावजूद तीनों देशों के बीच के लोगों के दिलों में लकीरे नहीं खिंच पाई है और वह आज भी दिली रूप से एक हैं।
इस पाठ के अन्य प्रश्न :
फिर पलकों से कुछ सितारे टूटकर दूधिया आँचल में समा जाते हैं।
हमारी ज़मीन हमारे पानी का मज़ा ही कुछ और है!