फिर पलकों से कुछ सितारे टूटकर दूधिया आँचल में समा जाते हैं।

यह बात लेखिका ने सिख बीवी द्वारा अपनी जन्मभूमि लाहौर की याद करने पर निकले आँसुओं के संदर्भ में कही है  जब जब सफिया लाहौर जाने की बात करती है तब लाहौर का नाम सुनकर सिख बीवी को अपनी जन्मभूमि की याद आ जाती है। सिख बीवी लाहौर की रहने वाली थी। भारत की आजादी के बाद वह दिल्ली आ गई थी। लाहौर का जिक्र चलने पर उन्हें अपनी जन्मभूमि की याद आ गई, जहाँ पर उनका जन्म हुआ और वह वहीं पर पली-बढ़ीं। इसी भावना में बैठकर उनके आँसू निकल पड़े और जो उनकी चुनरी के पल्लू पर गिर रहे थे। लेखिका ने इसी घटना को बेहद सुंदर शब्दों के माध्यम से व्यक्त किया है, और एक एक अलंकारिक प्रस्तुति के रूप में प्रस्तुत किया है।

 


इस पाठ के अन्य प्रश्न :

हमारी ज़मीन हमारे पानी का मज़ा ही कुछ और है!

मुहब्बत तो कस्टम से इस तरह से गुज़र जाती है कि कानून हैरान रह जाता है।


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नमक : रज़िया सज्जाद ज़हीर (कक्षा-12 पाठ-16) हिंदी आरोह 2

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