यह वाक्य लाहौर के कस्टम अधिकारी ने सफिया से कहा था। जब सफिया ने अपनी सारी परेशानी बताते हुए नमक की पुड़िया दिखाई और नमक की पुड़िया ले जाने का कारण बताया तो कस्टम अधिकारी सफिया की भावना से बेहद प्रभावित हुआ। इसके साथ ही उसे अपने जन्मभूमि देहली की याद आ गई क्योंकि उसका जन्म देहली में हुआ और वह पाकिस्तान चला आया था।
कानून रूप से नमक ले जाना गैरकानूनी था, उसके बावजूद कस्टम अधिकारी ने सफिया को नमक ले जाने दिया। यहां पर अब उसे सफिया का सिख बीवी के प्रति संबंधों की आत्मीयता और अपने वादे को पूरा करने की चाहत भारी पड़ गई। इसके साथ ही उसे अपनी जन्मभूमि देहली के प्रति प्रेम जागृत हो गया। अब उसे कानून की परवाह नहीं थी। मोहब्बत के आगे सारे कानून फेल हो जाते हैं। कानून केवल लोगों की सुविधा के लिए बनाए जाते हैं इसलिए नहीं कि वह लोगों के बीच मोहब्ब और इंसानियत को खत्म कर दें। उसने इसी भावना से वशीभूत होकर यह बात कहते हुए सफिया को नमक ले जाने की इजाजत दे दी।
इस पाठ के अन्य प्रश्न :
भावना के स्थान पर बुद्धि धीरे-धीरे उस पर हावी हो रही थी।
क्या सब कानून हुकूमत के ही होते हैं, कुछ मुहब्बत, मुरौवत, आदमियत, इंसानियत के नहीं होते?