NCERT Solutions (हल प्रश्नोत्तर)
नमक : रज़िया सज्जाद ज़हीर (कक्षा-12 पाठ-16) हिंदी आरोह 2
NAMAK : Raziya Sajjad Zaheer (Class-12 Chapter-16 Hindi Aroh 2)
पाठ के बारे में…
‘नमक’ नामक शीर्षक नाम की यह कहानी रजिया सज्जाद जहीर द्वारा पाकिस्तान के विभाजन के बाद विस्थापितों की दिलों को टटोलती हुई एक मार्मिक कहानी है। भारत-पाकिस्तान के विभाजन के बाद अनेक नागरिकों को भारत से पाकिस्तान या पाकिस्तान से भारत विस्थापित होना पड़ा था। इस कारण उन्हें अपने जन्मभूमि को छोड़कर नई जगह पर जाना पड़ा। लेकिन वे अपनी जन्मभूमि से बिछड़ने की टीस सदैव अपने मन में दबाए रहे और अपनी जन्मभूमि के प्रति उनका लगाव सदैव बना रहा। इस कहानी में उन्हीं लोगों की मनोःस्थिति को दर्शाया गया है।
कहानी की मूल पात्र सफिया नाम की स्त्री है। सफिया दिल्ली में रहती है। उसका भाई में रहता है। लाहौर से ही विस्थापित होकर आई हुई सिख बीबी दिल्ली में रहती है, जो सफिया की पड़ोसन हैं। सफिया लाहौर में रह रहे अपने भाई से मिलने लाहौर जाती है तो सिख बीवी लाहौरी नमक लाने के लिए कहती हैं। सफिया उन्हें लाहौरी नमक लाने का वादा करती है। लाहौर से लाहौरी नमक लाने में उत्पन्न हुई कानूनी अड़चन और फिर मानवीय दृष्टिकोण के आधार पर अनुमति मिलने प्रसंगों के इर्द-गिर्द इस कहानी का ताना-बाना बुना गया है। कहानी की मूल संवेदना ये है कि मानचित्र पर लकीरे खींचकर भले ही दो देशों का विभाजन कर दिया गया हो लेकिन उन देशों के लोगों के बीच विभाजन की लकीर नहीं खिंच पाई और लोग अभी भी अपनी उस जन्मभूमि को याद करते रहते हैं, जो उन्हें छोड़नी पड़ी।
लेखिका के बारे में…
‘रज़िया सज्जाद ज़हीर’ उर्दू साहित्य की जानी-मानी कथाकार रही हैं। उन्होंने उर्दू में अनेक कहानियों की रचना की। ‘जर्द गुलाब’ नाम से उनका प्रसिद्ध उर्दू कहानियों का संग्रह प्रकाशित हो चुका है। उनका जन्म 15 फरवरी 1917 को राजस्थान के अजमेर में हुआ था। उन्होंने बीए तक की शिक्षा प्राप्त की और उसके बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उर्दू में एम.ए. की शिक्षा प्राप्त की। बाद में वे लखनऊ आकर करामत हुसैन गर्ल्स कॉलेज में अध्यापन का कार्य करने लगी। उन्होंने एक 1965 में उन्होंने सोवियत सूचना विभाग में भी कार्य किया।
उर्दू कथा साहित्य में उनका नाम उल्लेखनीय है और उर्दू में उन्होंने कहानियां और उपन्यास दोनों विधाओं में लिखा है। इसके अलावा उन्होंने उर्दू बाल साहित्य की रचना भी की है। उनकी कई रचनाओं के दूसरी अन्य भाषाओं में अनुवाद भी हुए हैं। उन्होंने स्वयं भी कई भाषाओं की पुस्तकों के उर्दू में अनुवाद किए हैं। उन्हें सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार तथा उर्दू अकादमी द्वारा पुरस्कार, उत्तर प्रदेश सरकार सम्मान तथा अखिल भारतीय लेखिका सम्मान प्राप्त हो चुका है। 18 दिसंबर 1979 को उनका निधन हुआ।
नमक : रज़िया सज्जाद ज़हीर
(हल प्रश्नोत्तर)
पाठ के साथ
प्रश्न 1
सफ़िया के भाई ने नमक की पुड़िया ले जाने से क्यों मना कर दिया?
उत्तर :
सफिया के भाई ने नमक की पुड़िया ले जाने से इसलिए मना कर दिया था क्योंकि सफिया का भाई पाकिस्तान में एक पुलिस अफसर था और लाहौरी नमक पाकिस्तान से भारत ले जाने का काम गैरकानूनी था।
सफिया के भाई के अनुसार कस्टम के अधिकारी नमक की पुड़िया देख लेने पर बाकी सामान पर भी शक करेंगे और फिर सामान की तलाशी लेंगे। इससे बाकी सारे सामान की भी चिंदी-चिंदी हो जाएगी। इसके अलावा नमक की पुड़िया गैरकानूनी रूप से ले जाने पर पकड़े जाने पर बदनामी होगी, वह अलग। इसीलिए सफिया के भाई ने सफिया को नमक की पुड़िया पाकिस्तान से भारत ले जाने से मना कर दिया।
प्रश्न 2
नमक की पुड़िया ले जाने के संबंध में सफ़िया के मन में क्या द्वंद्व था?
उत्तर :
नमक की पुड़िया ले जाने के संबंध में सफिया के मन में यह द्वंद था कि वह नमक की पुड़िया को किस तरह भारत ले जाए। उसे पता चला था कि पाकिस्तान से भारत नमक ले जाना गैरकानूनी है, इसलिए कानूनी रूप से वह नमक नहीं ले जा सकती। उधर उसने भारत में सिख बीवी से वादा किया था कि वह लाहौर से वापस लौटते समय उन्हें लाहौरी नमक लाकर अवश्य देगी। यह उसके लिए उसके वादे का सवाल था। वह ना तो अपना वादा तोड़ना चाहती थी और ना ही सिख बीवी, जिसे वह अपनी माँ के समान मानती थी, उनका दिल तोड़ना चाहती थी।
इधर पाकिस्तान से भारत नमक ले जाना गैरकानूनी था। पहले उसने सोचा कि नमक की पुड़िया सामान के अंदर छुपा कर ले जाएगी। तभी उसके मन में यह विचार आया कि वह नमक सिख बीवी के लिए प्रेम एवं सौगात के प्रतीक के रूप में ले जा रही है, इसे यूँ चोरी छुपे ले जाना ठीक नहीं। इसी तरह के द्वंद्व साफिया के मन में चल रहे थे।
प्रश्न 3
जब सफ़िया अमृतसर पुल पर चढ़ रही थी तो कस्टम ऑफ़िसर निचली सीढ़ी के पास सिर झुकाए चुपचाप क्यों खड़े थे?
उत्तर :
जब सफिया अमृतसर पुल पर चढ़ रही थी तो कस्टम ऑफिसर नीचे सीढ़ी के पास सिर झुकाए इसलिए खड़े थे, क्योंकि सफिया से बात करके उन्हें अपने मूल वतन ढाका की याद आ गई। भारत-पाकिस्तान के विभाजन से पहले कस्टम ऑफिसर भी ढाका में रहते थे और विभाजन के बाद भारत में चले आए थे। सफिया और सिख बीवी के बीच आत्मीय संबंधों वाले रिश्ते तथा अपने वतन के प्रति उनके प्रेम को देखकर कस्टम ऑफिसर को भी अपने जन्म स्थान ढाका की याद आ गई।
इस तरह वह सफिया को पुल पर चढ़कर जाते समय देखते रहे और वह ऐसा महसूस कर रहे थे कि वह अपने वतन की ओर जा रहे हैं। अपने वतन की याद आने के अनुभव के कारण ही वह सफिया को पुल पर चढ़कर जाते हुए दूर तक देखते रहे।
प्रश्न 4
लाहौर अभी तक उनका वतन है और देहली मेरा या मेरा वतन ढाका है जैसे उद्गार किस सामाजिक यथार्थ का संकेत करते हैं।
उत्तर :
‘लाहौर अभी तक उनका वतन है’ और ‘देहली मेरा वतन है’ या ‘मेरा वतन ढाका है’ जैसे उद्गार कुछ सामाजिक यथार्थ को व्यक्त करते हैं कि जमीन के विभाजन के बावजूद भी लोगों के दिलों का विभाजन नहीं हो पाता। जमीन के टुकड़ों को विभाजित कर भले ही उन्हें उस जमीन से अलग कर दिया जाता हो, लेकिन उनका दिल उनका अपनी उसी जन्मभूमि के प्रति लगाव बना रहता है और वह अपनी जन्मभूमि को कभी भूल नहीं पाते। यह उद्गार देश के विभाजन के बाद उपजे दर्द को व्यक्त करते हैं।
भारत और पाकिस्तान के बीच विभाजन के बाद अनेक लोगों को भारत के पाकिस्तान या पाकिस्तान से भारत जाना पड़ा जिस कारण उन्हें अपने मूल स्थान को छोड़ना पड़ा, लेकिन उनकी जन्म भूमि के प्रति हमेशा लगाव बना रहा।
विभाजन के एक वर्ष बीत जाने के बाद भी लोग अपनी जन्मभूमि को नहीं भूल पाते हैं। राजनीतिक कारणों से जमीन को बांट देने से जमीन पर भले ही सीमा रेखा खींच दी गई हो लेकिन लोगों के बीच दिलों की सीमा रेखा नहीं खींच पाई। ये उद्गार उसी यथार्थ को व्यक्त करते हैं।
प्रश्न 5
नमक ले जाने के बारे में सफ़िया के मन में उठे द्वंद्वों के आधार पर उसकी चारित्रिक विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
नमक ले जाने के बारे में सफिया के मन में उठे बंधुओं के आधार पर उसकी निम्नलिखित चारित्रिक विशेषताओं का पता चलता है।
एक ईमानदार स्त्री : साफिया में एक ईमानदार स्त्री के दर्शन होते हैं, क्योंकि पहले तो वह चोरी छुपे नमक ले जाने का विचार करती है लेकिन फिर उसका जमीर उसे इस बात के लिए इजाजत नहीं देता। वह सोचती है कि जो नमक वह प्रेम के प्रतीक के रूप में सिख बीवी को भेंट स्वरूप लेकर जा रही है, उस प्रेम भरी सौगात को वह चोरी छुपे किसी जुर्म के तौर पर नहीं ले जाना सकती। इसलिए वह चोरी छुपे नमक ना ले जाकर उसके बारे में कस्टम अफसर को बता देती है।
वायद पर अटल : सफिया अपने वादे पर अटल स्त्री है। उसने सिख बीवी को वायदा किया था कि वह उन्हें लाहौर से लाहौरी नमक लाकर देगी। इसलिए कानूनी रूप से नमक ना ले जाने की कानूनी अड़चनों के बावजूद पूरा करती है, क्योंकि उसे अपना वादा निभाना था।
संवेदनशीलता : सफिया में पूरी संवेदनशीलता है और वह रिश्तों को संवेदनशीलता को समझती थी और रिश्तों को निभाना जानती है।
एक जिम्मेदार नागरिक : सफिया को नमक पाकिस्तान से भारत नमक ले जाना गैरकानूनी था। इसलिए सफिया किसी भी तरह का कानून नहीं तोड़ना चाहती थी। नमक ले जाना भी जरूरी था इसीलिए उसने कानून का सम्मान करते हुए नमक की पुड़िया कस्टम ऑफिसर को दिखाकर एक जिम्मेदार नागरिक का फर्ज अदा किया। वह चाहती तो नमक की पुड़िया किसी ना किसी तरह चोरी छुपे ले जा सकती थी। इस तरह उसके मन में कानून के प्रति सम्मान भी है।
प्रश्न 6
मानचित्र पर एक लकीर खींच देने भर से ज़मीन और जनता बँट नहीं जाती है– उचित तर्कों व उदाहरणों के ज़रिये इसकी पुष्टि करें।
उत्तर :
मानचित्र पर एक लकीर खींच देने से जमीन और जनता नहीं बंट जाती। यह बात नमक कहानी में स्पष्ट रूप से सिद्ध हो रही है। भारत के विभाजन के बाद भारत तीन हिस्सों भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में भले ही बंट गया हो, लेकिन इन तीनों देशों के नागरिक दिली रूप से अपने मूल जन्म स्थान से जुड़े हुए थे।
भारत के विभाजन के बाद भारत से पाकिस्तान और बांग्लादेश अथवा बांग्लादेश और पाकिस्तान से भारत कई लोगों को जाना पड़ा था। इस कारण उन्हें अपनी जन्मभूमि से बिछड़ना पड़ा।अपनी जन्मभूमि के प्रति उनका लगाव जीवन भर बना रहा।
सिख बीवी मूल रूप से लाहौर की रहने वाली थी लेकिन भारत के विभाजन के बाद उन्हें दिल्ली आना पड़ा। उसी प्रकार अमृतसर के कस्टम ऑफिसर ढाका के रहने वाले थे, जो भारत के विभाजन के बाद ढाका से भारत आ गए। लाहौर के कस्टमर देहली के रहने वाले थे जो भारत के विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गए। यह लोग भले ही अपनी मूल जन्मभूमि से बिछड़ गए लेकिन उनका अपनी जन्म भूमि के प्रति लगाव बना रहा।
इसी तरह इन कई जगहों के ऐसे अनेक नागरिक और हैं जो आज भी अपने जन्म भूमि को याद करते हैं।
राजनीतिक और कूटनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव हो, लेकिन देश के नागरिक भी एक दूसरे से मिलते हैं और आते जाते रहते हैं। जो कभी भारत के नागरिक थे और पाकिस्तान जाकर बस गए या जो कभी पाकिस्तान के नागरिक थे और विभाजन के बाद वे आज भी अपनी जन्म भूमि को याद करते हैं।
आज भी भारत और पाकिस्तान के आम नागरिक एक दूसरे से मिलते जुलते रहते हैं और अपने मूल जन्म स्थान कि और आते जाते रहते हैं। उनका अपने मूल जन्मभूमि से लगाव बना रहता है। मानचित्र पर एक खींची गई एक लकीर भी उनके दिलों में लकीर नहीं खींच पाए, यह बात स्पष्ट हो जाती है।
प्रश्न 7
नमक कहानी में भारत व पाक की जनता के आरोपित भेदभावों के बीच मुहब्बत का नमकीन स्वाद घुला हुआ है, कैसे?
उत्तर :
‘नमक’ कहानी में भारत-पाक की जनता के आरोपित भेदभाव के बीच मोहब्बत का नमकीन स्वाद इस प्रकार बना हुआ है कि कहानी के पात्रों के द्वारा ही यह बात स्पष्ट हो जाती है। सिख बीवी मूल रूप से लाहौर की रहने वाली थी और भारत के विभाजन के बाद दिल्ली आ गई, फिर भी उनका लाहौर के प्रति लगाव बना रहा। उसी तरह अमृतसर के कस्टम ऑफिसर ढाका के रहने वाले थे। लाहौर के कस्टम ऑफिसर दिल्ली के रहने वाले थे और उन दोनों का भी अपने-अपने जन्मभूमि से लगाव बना रहा। इसी तरह दोनों देशों में भारत और पाकिस्तान दोनों देशों में ऐसे अनेक नागरिक हैं, जिन्हें अपनी मूल जगह छोड़कर जाना पड़ा था लेकिन आज भी उनका अपनी जमीन से जुड़ाव बना हुआ है। राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के नाम पर भले ही यह कहा जाता है कि भारत और पाकिस्तान एक दूसरे को पसंद नहीं करते, लेकिन यह केवल राजनीतिक के स्तर पर ही है। भारत और पाकिस्तान के आम नागरिक आज भी वैसे ही प्रेम एवं अपनत्व से मिलते हैं, जिस प्रकार वह संयुक्त भारत ने मिलकर रहते थे।
सफिया पाकिस्तान से भारत आ गई थी और भारत की नागरिक बन गई जबकि उसका भाई पाकिस्तान वहीं पाकिस्तान में रह गया, लेकिन इससे दोनों भाई बहनों के बीच स्नेह खत्म नहीं हुआ। उसी तरह सिख बीवी लाहौर से दिल्ली आने के बावजूद लाहौर से लगाव खत्म नहीं हुआ।
पाकिस्तान और भारत के कस्टम अधिकारियों अपनी-अपनी जन्मभूमि से लगाव खत्म नहीं हुआ। इस तरह ‘नमक’ कहानी के पात्र यह बात स्पष्ट कर देते हैं कि भारत और पाकिस्तान की जनता के बीच तनाव का जो आरोप लगाया जाता है, वह वास्तव में सच्चा नहीं है। भारत और पाकिस्तान के आम नागरिकों के बीच आज भी वैसी ही मोहब्बत है। दोनों देशों के नागरिक में आज भी आरोपित भेदभाव के बीच मोहब्बत का नमकीन स्वाद घुला हुआ है।
क्यों कहा गया?
प्रश्न 1
क्या सब कानून हुकूमत के ही होते हैं, कुछ मुहब्बत, मुरौवत, आदमियत, इंसानियत के नहीं होते?
उत्तर :
क्या सब कानून हुकूमत कहीं होते हैं, कुछ मोहब्बत मुरवत, आदमियत, इंसानियत के नहीं होते, ऐसा साफिया ने अपने भाई से कहा। ऐसा उसने आवेश में आकर कहा। जब साफिया सिख बीवी के लिए भेंट-स्वरूप लाहौरी नमक ले जाना चाहती थी, तो साफिया के भाई ने मुझे मना करते हुए कहा कि पाकिस्तान से भारत नमक ले जाना कानूनी जुर्म है। तब साथिया को आवेश आ गया। वह बोली कानून बनाना हुकूमत का काम है, लेकिन कुछ बातें कानूनों से परे होती हैं। एक चुटकी भर नमक ले जाने से कोई ब्लैक मार्केटिंग नहीं हो जाएगी। वह कोई बहुत बड़ा जुर्म नहीं कर रही।
हर बात कानून के नजरिए से नहीं देखनी चाहिए। कुछ बातें मोहब्बत और इंसानियत के लिए भी रखनी चाहिए। यहाँ पर मोहब्बत, इंसानियत, भाईचारे का सवाल है। वह सिख बीवी को लाहौरी नमक प्रेम की सौगात के रूप में देना चाहती है और उसके इस काम में कानून अड़चन बना रहा है, इसीलिए सफिया ने आवेश में आकर ऐसी बात कही।
प्रश्न 2
भावना के स्थान पर बुद्धि धीरे-धीरे उस पर हावी हो रही थी।
उत्तर :
भावना के स्थान पर बुद्धि उस पर हावी हो रही थी, क्योंकि जब सफिया के भाई ने पाकिस्तान से भारत नमक की पुड़िया ले जाना कानूनन जुर्म बताया, तब उस समय उसे भाई पर बेहद गुस्सा आ गया और उसने भावना के आवेश में आकर मुहब्बत और इंसानियत आदि की दुहाई देकर भाई की सुनाया। लेकिन बाद में जब उसका गुस्सा ठंडा हुआ तब उसे एहसास हुआ कि पाकिस्तान से नमक ले जाना आसान कार्य नहीं। उसे लगने लगा कि उसका भाई सही कह रहा है। नमक ले जाना आसान नहीं है। अब उसकी भावना के ऊपर बुद्धि भारी पड़ने लगी थी और वह नमक ले जाने के उपाय पर गौर करने लगी। वह सोचने लगी कि कैसा तरीका अपनाया जाए जिससे वह लाहौरी नमक पाकिस्तान से भारत ले जा सके। उसने अपनी भावना को त्याग दिया था और वुद्धि का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था।
प्रश्न 3
मुहब्बत तो कस्टम से इस तरह से गुज़र जाती है कि कानून हैरान रह जाता है।
उत्तर :
यह वाक्य लाहौर के कस्टम अधिकारी ने सफिया से कहा था। जब सफिया ने अपनी सारी परेशानी बताते हुए नमक की पुड़िया दिखाई और नमक की पुड़िया ले जाने का कारण बताया तो कस्टम अधिकारी सफिया की भावना से बेहद प्रभावित हुआ। इसके साथ ही उसे अपने जन्मभूमि देहली की याद आ गई क्योंकि उसका जन्म देहली में हुआ और वह पाकिस्तान चला आया था।।
कानूनन रूप से नमक ले जाना गैरकानूनी था, उसके बावजूद कस्टम अधिकारी ने सफिया को नमक ले जाने दिया। यहां पर अब उसे सफिया का सिख बीवी के प्रति संबंधों की आत्मीयता और अपने वादे को पूरा करने की चाहत भारी पड़ गई। इसके साथ ही उसे अपनी जन्मभूमि देहली के प्रति प्रेम जागृत हो गया। अब उसे कानून की परवाह नहीं थी। मोहब्बत के आगे सारे कानून फेल हो जाते हैं। कानून केवल लोगों की सुविधा के लिए बनाए जाते हैं इसलिए नहीं कि वह लोगों के बीच मोहब्ब और इंसानियत को खत्म कर दें। उसने इसी भावना से वशीभूत होकर यह बात कहते हुए सफिया को नमक ले जाने की इजाजत दे दी।
प्रश्न 4
हमारी ज़मीन हमारे पानी का मज़ा ही कुछ और है!
उत्तर :
हमारी ज़मीन हमारे पानी का मजा ही कुछ और है। यह कथन अमृतसर के कस्टम ऑफिसर ने सफिया से कहा था। अमृतसर का कस्टम ऑफिसर जो कि एक हिंदू था, वह भारत के विभाजन के बाद बांग्लादेश के ढाका से भारत चला आया था। उसकी जन्मभूमि तो ढाका थी, इसलिए उसका अपनी जन्म भूमि के प्रति लगाव बना रहा।
सफिया से बातचीत के सिलसिले में उसे सफिया का पाकिस्तान जाना पता चला तब उसे भी अपने जन्मभूमि ढाका की याद आ गई और उसने यह कथन कहकर अपनी जन्म भूमि के प्रति अपने मन के उदगार व्यक्त कर दिए थे।
यह बात सच है लोग जिस जगह पर जन्म लेते हैं, उससे उनका जिंदगी भर जुड़ाव बना रहता है। वे भले ही दूसरी किसी जगह पर क्यों ना चले जाएं लेकिन अपनी जन्मभूमि को कभी नहीं भूल पाते।
समझाइए तो जरा
प्रश्न 1
फिर पलकों से कुछ सितारे टूटकर दूधिया आँचल में समा जाते हैं।
उत्तर :
यह बात लेखिका ने सिख बीवी द्वारा अपनी जन्मभूमि लाहौर की याद करने पर निकले आँसुओं के संदर्भ में कही हैय़ जब जब सफिया लाहौर जाने की बात करती है तब लाहौर का नाम सुनकर सिख बीवी को अपनी जन्मभूमि की याद आ जाती है। सिख बीवी लाहौर की रहने वाली थीं। भारत की आजादी के बाद वह दिल्ली आ गई थीं। लाहौर का जिक्र चलने पर उन्हें अपनी जन्मभूमि की याद आ गई, जहाँ पर उनका जन्म हुआ और वह वहीं पर पली-बढ़ीं। इसी भावना में बैठकर उनके आँसू निकल पड़े और जो उनकी चुनरी के पल्लू पर गिर रहे थे। लेखिका ने इसी घटना को बेहद सुंदर शब्दों के माध्यम से व्यक्त किया है, और एक एक अलंकारिक प्रस्तुति के रूप में प्रस्तुत किया है।
प्रश्न 2
किसका वतन कहाँ है- वह जो कस्टम के इस तरफ़ है या उस तरफ़।
उत्तर :
लेखिका ने इस पंक्ति के माध्यम से बहुत ही गहरी बात व्यक्त की है। इस पंक्ति में बेहद गूढ़ अर्थ छिपा हुआ है। जब सफिया भारत लौटते समय अमृतसर के स्टेशन पर चढ़ती है, तब उसके मन में यह विचार उठता है कि सिख बीवी दिल्ली में रहने के बावजूद लाहौर को अपना वतन बताती है। लाहौर का कस्टम ऑफिसर दिल्ली को अपना वतन बताता है तो अमृतसर का कस्टम ऑफिसर ढाका को अपना वतन बताता है, जबकि सब लोग अलग-अलग देशों में रह रहे हैं। यानी देशों के बंटवारे के बावजूद उनके दिलों का बंटवारा नही हुआ है। उनका मन अभी भी अपनी जन्मभूमि में लगा हुआ है। इस बात से सफिया असमंजस में है कि कौन सा देश किसका है, यह बात उसे समझ नहीं आ रही। इस बात से यह स्पष्ट होता है कि जमीन पर लकीरें खींच देने के बावजूद तीनों देशों के बीच के लोगों के दिलों में लकीरे नहीं खिंच पाई है और वह आज भी दिली रूप से एक हैं।
पाठ के आसपास
प्रश्न 1
नमक कहानी में हिंदुस्तान-पाकिस्तान में रहने वाले लोगों की भावनाओं, संवेदनाओं को उभारा गया है। वर्तमान संदर्भ में इन संवेदनाओं की स्थिति को तर्क सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘नमक’ कहानी में हिंदुस्तान-पाकिस्तान में रहने वाले लोगों की भावनाओं और संवेदनाओं को उभारा गया है। वर्तमान समय में इन भावनाओं और संवेदनाओं की स्थिति में अब कमी आई है। भारत की आजादी के बाद जो लोग भारत से पाकिस्तान या पाकिस्तान से भारत आए थे, उस पीढ़ी के लोग अब या तो बूढ़े हो चुके हैं या अब इस संसार में नहीं रहे। अब एक ऐसी नई पीढ़ी जन्म ले चुकी है जो उसी देश में जन्मी और पली-बढ़ी है, जहाँ अभी रहती है। इस तरह उसका उसके मन में ऐसी कोई भावना नहीं है जो उनसे पहले की पीढ़ी में थी।
वर्तमान संदर्भ में दोनों देशों में रहने वाले लोगों की भावनाओं और संवेदनाओं में कमी आई है। भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते घटते-बढ़ते राजनेताओं के कारण भी इन संवेदनाओं और भावनाओं में कमी आई है। उसके बावजूद भारत और पाकिस्तान के आम लोग एक दूसरे से मिलजुल कर रहते हैं। राजनीतिक स्तर पर भले ही भारत पाकिस्तान में कितना तनाव हो, लेकिन सांस्कृतिक और कला तथा खेल के स्तर पर भारत और पाकिस्तान आज भी अच्छे संबंध होने के प्रयास होते रहते हैं।
भारत की हिंदी फिल्में आज भी पाकिस्तान में बेहद से देखी जाती हैं। भारत के अनेक धारावाहिक पाकिस्तान में लोकप्रिय हैं तो पाकिस्तान के भी नाटक भारत में बेहद लोकप्रिय हुए हैं। पाकिस्तानी कलाकारों में भारतीय फिल्मों में अपनी कला का प्रदर्शन किया है। खेल के क्षेत्र में भी यदा-कदा ऐसे ही सहयोग और प्रयास होते रहते हैं।
आज के संदर्भ में बहुत अधिक संवेदना और भावनाओं के स्तर की बात की जाए तो अब हिंदुस्तान और पाकिस्तान में रहने वाले लोगों के संबंधों वैसी गर्माहट नहीं रही जो आजादी के बाद की पीढ़ी में थी।
प्रश्न 2
सफ़िया की मनःस्थिति को कहानी में एक विशिष्ट संदर्भ में अलग तरह से स्पष्ट किया गया है। अगर आप सफ़िया की जगह होते/होतीं तो क्या आपकी मनःस्थिति भी वैसी ही होती? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
सफिया की मनःस्थिति को कहानी में एक विशेष संदर्भ में जिस तरह से स्पष्ट किया गया है, यदि हम सफिया की जगह होते तो हमारी मनःस्थिति भी वैसी ही होती। सफिया ने जिस तरह के मानवीय गुणों का प्रदर्शन किया वह कोई भी सामान्य मानव के लिए प्रदर्शित करना स्वाभाविक था। सफिया को ना केवल अपना वादा निभाना था बल्कि अपने और सिख बीवी के प्रति आत्मीय संबंधों की लाज भी रखनी थी। ऐसी स्थिति में उसके इस कार्य में कानून अड़चन बन रहा था। उसके मन में भावना और बुद्धि का द्वंद्व चल रहा था।
जहाँ भावना उसे किसी भी तरह लाहौरी नमक ले जाने के लिए प्रेरित कर रही थी वहीं बुद्धि यह कह रही थी कि कानून उसे इस तरह नमक ले जाने की इजाजत नहीं दे रहा। ऐसी स्थिति में साफिया ने व्यवहार कुशल होते हुए जिस तरह का हल निकाला हम भी साथ वैसा ही हल निकालने की चेष्टा करते।
जब हम यह देखते कि कानूनी रूप से नमक ले जाना संभव नहीं है, तो हम संबंधित कानूनी अधिकारियों के सामने अपनी समस्या का मानवीय पक्ष रखते और उस आधार पर छूट पाने का प्रयत्न करते जैसा कि सफिया ने किया। इसलिए साफिया ने जैसा किया हम भी वैसा ही करते।
प्रश्न 3
भारत-पाकिस्तान के आपसी संबंधों को सुधारने के लिए दोनों सरकारें प्रयासरत हैं। व्यक्तिगत तौर पर आप इसमें क्या योगदान दे सकते/सकती हैं?
उत्तर :
भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों को सुधारने के लिए दोनों सरकारें प्रयासरत हैं और निरंतर प्रयास करती रहती हैं। व्यक्तिगत तौर पर हम भी इसमें महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। अपना महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए हम खेल एवं कला का क्षेत्र चुन सकते हैं। कला के क्षेत्र में हम पाकिस्तानी कलाकारों को अपने यहां आमंत्रित करके उनकी प्रतिभा का सम्मान कर सकते हैं। उन्हें अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने का मौका दे सकते हैं। उसी तरह पाकिस्तान के लोग भी ऐसा ही करें।
- खेल के क्षेत्र में भी हम आपसी तनाव को भुलाते हुए अलग-अलग खेलों में आपस में मैच खेल कर संबंधों को सामान्य करने का प्रयास कर सकते हैं।
- एक आम नागरिक की हैसियत से हम पाकिस्तान के आम नागरिकों के प्रति मन में कोई दुराभाव नहीं रखें और उन्हें भी अपने भाई बंधुओं की तरह मानें।
- हम सोशल मीडिया का उपयोग भी इन सब कार्यों के लिए कर सकते हैं।
- इसके अलावा कला एवं शिल्प कला ऐसी अनेक वस्तुएं हैं जो पाकिस्तान में बनाई जाती हैं। हम पाकिस्तान की वस्तुओं का उपयोग करके वहां की कला को बढ़ावा देने का काम कर सकते हैं। इससे सम्मान संबंध सामान्य होंगे।
- इस तरह के प्रयास दोनों तरफ के लोगों के बीच होने आवश्यक हैं, तभी कुछ सार्थक हल निकलेगा।
प्रश्न 4
लेखिका ने विभाजन से उपजी विस्थापन की समस्या का चित्रण करते हुए सफ़िया व सिख बीबी के माध्यम से यह भी परोक्ष रूप से संकेत किया है कि इसमें भी विवाह की रीति के कारण स्त्री सबसे अधिक विस्थापित है। क्या आप इससे सहमत हैं?
उत्तर :
लेखिका ने विभाजन से उपजी विस्थापन की समस्या का चित्रण करते हुए सफिया व सिख बीवी के माध्यम से परोक्ष रूप से यह संकेत दिया है कि विवाह जैसी रीति के कारण स्त्री सबसे अधिक स्थापित होती है। इस बात से हम सहमत हैं। यह लगभग हर स्त्री के साथ होता है। जिस जगह वह जन्म लेती है, जिस घर में पली और बड़ी होती है, वह घर उसका जीवन भर का घर नहीं रह पाता। उसे कहीं ना कहीं दूसरे घर में विस्थापित होना पड़ता है। उसका वह दूसरा घर, जो उसकी ससुराल कहा जाता है, वह किसी दूसरे शहर या किसी दूसरे देश में हो सकता है। इस तरह स्त्री को अपने जीवन में विवाह के बाद सबसे अधिक विस्थापन से गुजरना पड़ता है।
कहानी में भी सिख बीवी को विवाह के कारण लाहौर से विस्थापित होकर दिल्ली आना पड़ा। वही सफिया को भी विवाह के कारण ही लाहौर से दिल्ली आना पड़ा और अपने परिवार से अलग होना पड़ा।
इसीलिए लेखिका का कहानी में यह कहना कि विवाह की रीति के कारण स्त्री के जीवन में सबसे अधिक विस्थापन का कारण बनती है, हम इस बात से पूरी तरह सहमत हैं।
हमारे पितृसत्तात्मक समाज में यह प्रक्रिया सदियों से चली आ रही है। शायद आगे इस प्रक्रिया में कोई बदलाव आए।
प्रश्न 5
विभाजन के अनेक स्वरूपों में बँटी जनता को मिलाने की अनेक भूमियाँ हो सकती हैं- रक्त संबंध, विज्ञान, साहित्य व कला। इनमें से कौन सबसे अधिक ताकतवर है और क्यों?
उत्तर :
विभाजन के अनेक स्वरूपों में बटी जनता को मिलाने में सबसे अधिक महत्वपूर्ण भूमिका साहित्य व कला की हो सकती है। रक्त संबंधों का अपना सीमित दायरा होता है, जबकि साहित्य एवं कला का दायरा बेहद विशाल है। इसलिए यह विभाजन के कारण बटी जनता को मिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
कला का दायरा असीमित होता है। कला की कोई सीमा नहीं होती। कला को जहाँ अपने पंख पसारने का अवसर मिल जाएगा वह वहीं पर उड़ान भरने लगती है। इसीलिए साहित्य के माध्यम से भी लोगों के बीच के दिलों की दूरी को कम किया जा सकता है।
विभाजन के कारण बटी जनता को मिलाने की प्रक्रिया एक संवेदनात्मक प्रक्रिया है। साहित्य और कला संवेदना से जुड़े हुए होते हैं इसलिए यह महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
विज्ञान इसमें बहुत अधिक महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभा सकता क्योंकि विज्ञान का संबंध संवेदना से नहीं तकनीक से होता है और इस तरह की समस्याओं को संवेदनात्मक ढंग से अधिक निपटा जा सकता है और ऐसा होता भी रहा है। इसी कारण भारत की हिंदी फिल्में पाकिस्तान में पाकिस्तान की फिल्मों से अधिक लोकप्रिय रही हैं। पाकिस्तान के कलाकार भारतीय फिल्में काम करते रहे हैं, गाने गाते रहे हैं। पाकिस्तान के अनेक खिलाड़ी मुख्यतः क्रिकेट खिलाड़ी भारत में भी लोकप्रिय हैं। ऐसे ही भारत के खिलाड़ी पाकिस्तान में लोकप्रिय हैं। इसी तरह पाकिस्तान मे रचित साहित्य भारत में पढ़ा जाता रहा है और भारत में रचित पाकिस्तान में।
इसलिए साहित्य एवं कला विभाजन के कारण बटी जनता को मिलाने का सबसे सशक्त माध्यम है।
आपकी राय
प्रश्न
मान लीजिए आप अपने मित्र के पास विदेश जा रहे/रही हैं। आप सौगात के तौर पर भारत की कौन-सी चीज़ ले जाना पसंद करेंगे/करेंगी और क्यों?
उत्तर :
अगर मुझे विदेश में रह रहे अपने मित्र के लिए कोई सौगात ले जाना है तो मैं अपने देश से जुड़ी कोई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कृति ले जाना चाहूंगा/चाहूंगी। विदेश में रह रहे अपने किसी मित्र को मैं अपने देश के बारे में बताना चाहूंगा/चाहूंगी। इसलिए अपने देश से जुड़ी कोई ऐतिहासिक अथवा सांस्कृतिक कृति से बेहतर और कुछ नहीं हो सकता।
मैं किसी अनमोल पेंटिंग आदि को सौगात के रूप में ले जाना चाहूंगी या चाहूंगा/चाहूंगी अथवा मैं देश के लोक संगीत या शास्त्रीय संगीत आदि से संबंधित गीतों के रिकॉर्ड अपने मित्र को भेंट करना चाहूंगा/चाहूंगी या मैं अपने देश के किसी क्षेत्र के पारंपरिक परिधान को अपने मित्र के लिए सौगात के तौर पर ले जाना चाहूंगा/चाहूंगी। इससे मुझे अपने मित्र के लिए अपने देश की संस्कृति को समझाने मैं आसानी होगी।
भाषा की बात
प्रश्न 1
नीचे दिए गए वाक्यों को ध्यान में पढ़िए-
(क) हमारा वतन तो जी लाहौर ही है।
(ख) क्या सब कानून हुकूमत के ही होते हैं?
सामान्यतः ‘ही’ निपात का प्रयोग किसी बात पर बल देने के लिए किया जाता है। ऊपर दिए गए दोनों वाक्यों में ‘ही’ के प्रयोग से अर्थ में क्या परिवर्तन आया है? स्पष्ट कीजिए। ‘ही’ का प्रयोग करते हुए दोनों तरह के अर्थ वाले पाँच-पाँच वाक्य बनाइए।
उत्तर :
दोनों तरह के अर्थों वाले ‘ही’ निपात वाले पांच वाक्य के प्रकार होंगे…
पहला अर्थ :
- आप तो मुझे जानते ‘ही’ हैं।
- हमारा घर तो उस पहाड़ की ऊंचाई पर ‘ही’ है।
- पत्नी पति से बोली, मुझे तो दिन भर घर के काम में लगे ‘ही’ रहना है।
- निराश न हो, तुम्हे निरंतर प्रयास करते ‘ही’ रहना है।
- बूढ़े मां बाप की देखभाल करना संतान का ‘ही’ कर्तव्य है।
दूसरा अर्थ :
- आप क्या दिल्ली में ‘ही’ रहते हो।
- तुम मुझे ‘ही’ क्यों बोल रहे हो?
- मैं ‘ही’ नादान था, जो तुम्हे सच्चा दोस्त समझ बैठा।
- संकेत ‘ही’ अकेला विद्यार्थी था, जो अपना होमवर्क करके लाया था।
- राजीव ‘ही’ फेल हो गया, उसके सारे दोस्त पास हो गए।
प्रश्न 2
नीचे दिए गए शब्दों के हिंदी रूप लिखिए-
मुरौवत, आदमियत, अदीब, साडा, मायने, सरहद, अक्स, लबोलहजा, नफीस
उत्तर :
प्रश्न 3
पंद्रह दिन यों गुज़रे कि पता ही नहीं चला– वाक्य को ध्यान से पढ़िए और इसी प्रकार के (यों, कि, ही से युक्त पाँच वाक्य बनाइए।)
उत्तर :
‘यों’, ‘कि’, ‘ही’ पांच वाक्य इस प्रकार होंगे :
- पाकेटमार महिला का पर्स छीनकर ‘यों’ भागा ‘कि’ सबलोग देखते ‘ही’ रह गए।
- सचिन दौड़ में अपने प्रतिद्वंद्वियों से फर्राटे से ‘यो’ आगे निकल गया ‘कि’ सब देखते ही रह गए।
- पंडितजी जी झटपट ‘यों’ झटपट खाना खा गए ‘कि’ घर के सब लोग देखते ‘ही’ रह गए।
- सड़क पर दौड़ती कार हमारी कार से आगे ‘यों’ निकल गई ‘कि’ हम ताकते ‘ही’ रह गए।
- हॉकी के मैच में खिलाड़ी ने ‘यों’ जोरदार शॉट मारा ‘कि’ विपक्षी खिलाड़ी हैरान होकर देखते ‘ही’ रह गए।
सृजन के क्षण
प्रश्न
‘नमक’ कहानी को लेखक ने अपने नज़रिये से अन्य पुरुष शैली में लिखा है। आप सफ़िया की नज़र से/उत्तम पुरुष शैली में इस कहानी को अपने शब्दों में कहें।
उत्तर :
नमक कहानी सफिया की नजर से उत्तम पुरुष शैली में इस प्रकार होगी :
मैं दिल्ली में रहती हूँ। मेरा जन्म लाहौर में हुआ है और मेरा भाई लाहौर में ही रहता है। मेरा विवाह दिल्ली में हुआ है। मेरे पड़ोस में एक सिख बीवी रहती हैं। मेरी उनसे बहुत अच्छी जान-पहचान है। मैं उन्हें अपनी माँ के समान मानती हूँ। उनसे बातचीत में पता चला कि वह पहले लाहौर में ही रहती थी।
एक बार मुझे अपने भाई से मिलने के लिए पाकिस्तान, लाहौर जाना पड़ा तो जाते समय मैंने सिख बीवी को इसका जिक्र किया। तब सिख बीवी बड़ी प्रसन्न हुई और बोलीं, तुम जब लाहौर से वापस आओ तो मेरे लिए लाहौरी नमक लेती आना। मुझे वह नमक बहुत अच्छा लगता है। मैंने उनसे वादा किया कि ठीक है मैं वापस आते समय लाहौरी नमक जरूर लेकर आऊंगी।
लाहौर पहुंचकर कुछ दिन रहने के बाद जब मेरे वापस आने का अवसर जब मैंने अपने भाई से लाहौरी नमक ले जाने की बात कही। मेरे भाई ने कहा पाकिस्तान से लाहौरी नमक ले जाना संभव नहीं, क्योंकि यहाँ पर कानून है कि पाकिस्तान से नमक हिंदुस्तान नहीं ले जाया जा सकता।
मैं सोच में पड़ गई थी अब सिख बीवी को किया हुआ वादा कैसे निभाऊंगी? तब मैंने एक उपाय सोचा और सामान की टोकरियों में नमक की छोटी सी पुड़िया छुपा दी। जब मैं कस्टम ऑफिसर के पास सामान की चेकिंग कराने पहुंची थी तो मुझे मेरे जमीर ने धिक्कारा कि यूँ चोरी-छिपे गैरकानूनी तरीके से नमक ले जाना ठीक नहीं। वह भी वह नमक जो किसी के लिए भेंट स्वरूप देना है।
मैंने उन कस्टम ऑफीसर से को सारी बात बताते हुए कहा कि मैं थोड़ा सा नमक ले जाना चाहती हूँ, लेकिन आपके देश का कानून मुझे इजाजत नहीं दे रहा। आप मानवीय दृष्टिकोण से इस बात को समझें और मुझे नमक ले जाने की इजाजत दें।
कस्टम ऑफिसर पहले दिल्ली में जन्मे थे और बंटवारे के बाद पाकिस्तान आ गए थे। उन्होंने मेरी बात समझी और मेरी भावनाओं को समझा।
उन्होंने कहा, आपने अच्छा किया मुझे बता दिया। कोई बात नहीं आप यह नमक ले जाओ। इतना थोड़ा सा नमक ले जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता। इस तरह उन्होंने मुझे नमक ले जाने की इजाजत प्रदान करके सिख बेबी को दिए मेरे वादे की लाज रख ली। मैंने उनका आभार प्रकट किया और हिंदुस्तान वापस आ गई और एक बीवी को लाहौरी नमक दिया। लाहौरी नमक पाकर श्रीदेवी के चेहरे पर जो खुशी थी, वह देखते ही बनती थी। वह खुशी देख कर मुझे उनसे दुगनी खुशी हुई।
(नमक : रज़िया सज्जाद ज़हीर (कक्षा-12 पाठ-16) हिंदी आरोह 2)
कक्षा-12 हिंदी – आरोह के अन्य पाठ
चार्ली चैप्लिन यानि हम सब : विष्णु खरे (कक्षा-12 पाठ-15) हिंदी आरोह 2
काले मेघा पानी दे : धर्मवीर भारती (कक्षा-12 पाठ-13)
पहलवान की ढोलक : फणीश्वरनाथ रेणु (कक्षा-12 पाठ-14) हिंदी आरोह 2
कक्षा-10 हिंदी – स्पर्श
साखी : कबीर (कक्षा-10 पाठ-1 हिंदी स्पर्श 2)
पद : मीरा (कक्षा-10 पाठ-2 हिंदी स्पर्श 2)
दोहे : बिहारी (कक्षा-10 पाठ-3 हिंदी स्पर्श 2)
मनुष्यता : मैथिलीशरण गुप्त (कक्षा-10 पाठ-4 हिंदी स्पर्श 2)
पर्वत प्रदेश में पावस : सुमित्रानंदन पंत (कक्षा-10 पाठ-5 हिंदी स्पर्श 2)
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