बादल सा सुख से कवि का आशय उस सुख से है, जो बेहद संघर्ष और क्रांति करने के पश्चात मिलता है।
‘बादल राग’ कविता में कवि ने बादलों को क्रांति का प्रतीक बनाया है, जो भीषण गर्मी से त्रस्त मानव मन को शीतलता प्रदान करते हैं। बिल्कुल उसी तरह जिस तरह संसार में अत्याचार एवं अन्याय के शोषण से त्रस्त जन शोषकों के प्रति क्रांति करते हैं और क्रांति के परिणाम के बाद उन्हें जो न्याय प्राप्त होता है, उस सुख का अनुभव ही अलग होता है।
उसी तरह जब गर्मी और ताप से त्रस्त व्यक्ति मानव मन को बादल अपनी मूसलाधार बारिश से शीतलता प्रदान करते हैं तो उसका अनुभव विशिष्ट होता है। बादल का सुख वही सुख है जो कड़े संघर्ष और क्रांति के पश्चात प्राप्त होता है।
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“देखि सयन गति त्रिभुवन कपै इस बिरंचि भ्रमावै”- का आशय स्पष्ट कीजिए।
निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए − जो जितना बड़ा होता है उसे उतना ही कम गुस्सा आता है।
परिमल-हीन पराग दाग-सा बना पड़ा है, हा! यह प्यारा बाग खून से सना पड़ा है।” आशय स्पष्ट करें