हिंदी भाषा में कुल 22 उपसर्ग प्रचलित है, जो कि संस्कृत भाषा के उपसर्गों के समान ही हैं।
संस्कृत भाषा और हिंदी भाषा में कई समानताएं हैं। संस्कृत भाषा और हिंदी भाषा के व्याकरण व्याकरण में भी कई समानताएं पाई जाती है। संस्कृत भाषा में जिन उपसर्गों का प्रयोग किया जाता है, वही उपसर्ग हिंदी भाषा में भी प्रयोग में लाए जाते हैं।
संस्कृत भाषा में कुल उपसर्गों पदों का प्रयोग किया जाता है। इसी कारण हिंदी भाषा में भी 22 उपसर्ग प्रयोग किए जाते हैं। यह उपसर्ग इस प्रकार हैं।
उपसर्ग : अति
अर्थ : अधिक अथवा परे
उदाहरण : अतिक्रमण, अतिशीघ्र, अत्यंत, अत्याधिक, अत्याचार, अतींद्रिय, अतियुत्तम, अत्यावश्यक इत्यादि।
उपसर्ग : अधि
अर्थ : मुख्य अथवा प्रधान अथवा श्रेष्ठ
उदाहरण : अधिकार, अधिनियम, अधिपति, अधिवास, अध्यादेश, अधीन, अध्ययन
उपसर्ग : अनु
अर्थ : पीछे अथवा समान
उदाहरण : अनुकूल, अनुसार, अनुरूप, अनुराग, अनुक्रम, अनुनाद, अनुभव, अनुशंसा, अन्वेषण, अनुच्छेद इत्यादि।
उपसर्ग : अप
अर्थ : पूरा अथवा विपरीत
उदाहरण : अपकार, अपमान, अपयश, अपशब्द, अपहरण, अपकर्ष, अपशकुन, अपेक्षा, अपराध, अपव्यय इत्यादि।
उपसर्ग : अभि
अर्थ : पास अथवा सामने
उदाहरण : अभिनय, अभिवादन, अभिभाषण, अभियोग, अभिभूत, अभिषेक, अभीप्सा, अभिनय, अभ्यास इत्यादि।
उपसर्ग : अव
अर्थ : बुरा अथवा हीन
उदाहरण : अवगुण, अवकाश, अवलोकन, अवशेष, अवतरण, अवनति, अवधारणा, अवज्ञा, अवतार, अवतार इत्यादि।
उपसर्ग : आ
अर्थ : तक अथवा से
उदाहरण : आजन्म, आघात, आघात, आयात, आहार, आजीवन, आमोद, आशंका, आरक्षण, आमरण, आकर्षण इत्यादि।
उपसर्ग : उत्
अर्थ : ऊपर अथवा श्रेष्ठ
उदाहरण : उत्पीड़न, उत्कंठा, उत्कर्ष, उत्तम, उत्पन्न, उत्पत्ति, उल्लेख, उद्धार, उज्जवल, उद्गम इत्यादि।
उपसर्ग : उप
अर्थ : पास अथवा सहायक
उदाहरण : उपचार, उपहार, उपसर्ग, उपकार, उपवन, उपमंत्री, उपयोग, उपभोग, उपभेद, उपयुक्त, उपाध्यक्ष, उपाधि इत्यादि।
उपसर्ग : दुर्
अर्थ : कठिन अथवा बुरा अथवा विपरीत
उदाहरण : दुराग्रह, दुराचार, दुरावस्था, दुरुपयोग, दुर्दशा, दुर्गुण, दुर्भावना, दूर्जन इत्यादि।
उपसर्ग : नि
अर्थ : बिना अथवा विशेष
उदाहरण : निगम, निवास, निदान, निडर, निगम, निवास, निदान, निदेशक, निवारण, न्यून, न्याय, न्यास, निदेशक इत्यादि।
उपसर्ग : निर्
अर्थ : बिना अथवा बाहर
उदाहरण : निरपराध, निराकार, निराहार, निरक्षर, निरादर, निर्धन, निर्यात, निर्दोष, नीरस, निरीह इत्यादि।
उपसर्ग : निस्
अर्थ : बिना अथवा बाहर
उदाहरण : निष्काम, निष्कर्म, निष्पाप, निष्फल, निस्तेज, निस्सन्देह, निश्चय इत्यादि।
उपसर्ग : प्र
अर्थ : आगे अथवा अधिक
उदाहरण : प्रयोग, प्रचार, प्रसार, प्रहार, प्रयत्न, प्रदान, प्रपत्र, प्राचार्य, प्रायोजक, प्रार्थी इत्यादि।
उपसर्ग : परा
अर्थ : विपरीत अथवा पीछे अथवा अधिक
उदाहरण : पराजय, पराभव, परामर्श, पराविद्या, पराकाष्ठा इत्यादि।
उपसर्ग : परि
अर्थ : पास अथवा चारों ओर
उदाहरण : परिवार, परिपूर्ण, परिमार्जन, परिहार, परिक्रमण, परिधान, परिहास, परिश्रम, परिवर्तन, परीक्षा, पर्यावरण, परिच्छेद इत्यादि।
उपसर्ग : प्रति
अर्थ : प्रत्येक अथवा विपरीत
उदाहरण : प्रतिकूल, प्रतिहिंसा, प्रतिरूप, प्रतिध्वनि, प्रतिनिधि, प्रतीक्षा, प्रत्येक इत्यादि।
उपसर्ग : वि
अर्थ : विशेष अथवा भिन्न
उदाहरण : वियोग, विनाश, विपक्ष,विज्ञान, विदेश, विलय, विहार, विख्यात, विधान, व्यवहार, व्यर्थ, व्यायाम इत्यादि।
उपसर्ग : सु
अर्थ : अच्छा अथवा सरल
उदाहरण : सुगन्ध, सुगति, सुबोध, सुयश, सुमन, सुलभ, सुशील, सुअवसर, स्वागत।
उपसर्ग : सम्
अर्थ : अच्छी तरह या पूर्ण शुद्ध
उदाहरण : सन्तोष, संगठन, संचार,संलग्न, संयोग, संहार, संशय, संकल्प, संचय इत्यादि ।
उपसर्ग : अन्
अर्थ : नहीं अथवा बुरा
उदाहरण : अनादि, अनेक, अनाहूत,अनुपयोगी, अनागत, अनिष्ट, अनीह अनुपयुक्त, अनुपम, अनन्त इत्यादि।
ये भी देखें…
किस शब्द में उपसर्ग का प्रयोग नहीं हुआ है- (क) उपस्थित (ग) उपसंहार (ख) उपला (घ) उपसर्ग
किस शब्द में उपसर्ग की भिन्नता है- (क) प्राध्यापक (ग) प्राग्वेदिक ख) प्राक्कथन (घ) प्रागैतिहासिक
निम्नलिखित उपसर्गों से दो-दो शब्द बनाइए- (क) पुनर् (ख) हर (ग) सम् (घ) कु (च) अ (छ) बिन (ज) प (ङ) स्व