जीवन की जद्दोजहद ने चार्ली के व्यक्तित्व को कैसे संपन्न बनाया?

जीवन की जद्दोजहद में चाली के व्यक्तित्व को संपन्न बना दिया था, क्योंकि उनका बचपन बेहद कष्टों में बीता। जब चार्ली चैपलिन बेहद छोटे थे तब उनके पिता ने उन्हें त्याग दिया और उनकी माँ ने ही उन्हें पाला पोसा। उनकी माँ ने बेहद संघर्ष किया। चार्ली चैप्लिन का माँ वह एक छोटी-मोटी अभिनेत्री थीं, जो स्टेज पर छोटा-मोटा अभिनय करती थीं। चार्ली चैप्लिन ने अपने बचपन से ही गरीबी को देखा था। उसके बाद उनकी माँ की मानसिक बीमारी उनका सामना हुआ और इन सारी परिस्थितियों से जूझते हुए वह बड़े हुए। एक तरफ भयंकर गरीबी दूसरी तरफ माँ की मानसिक बीमारी ने उन्हें समय से पहले ही परिपक्व बना दिया था।

ज्यों-ज्यों वह बड़े होते गए उन्हें पूंजीवादी वर्ग द्वारा शोषण का शिकार होना पड़ा था। अपने पूर्वजों से मिले गुणों के कारण वह घुमंतू प्रवृत्ति के व्यक्ति बने और उनका काफी समय इधर-उधर घूमने में गया। जिससे उन्हें जीवन के कटु अनुभवों का पता चलता चला गया। इन सभी कठिनाइयों से जूझते हुए उनका व्यक्तित्व निखरता गया। वे कठिनाइयों की इस आग में तपकर सोने से कुंदन बनकर निकले।

जीवन की विषमताओं और कष्टों ने उनके व्यक्तित्व को और अधिक निखारा और वह मशहूर एव शानदार व्यक्तित्व बन पाए।

संदर्भ पाठ :

चार्ली चैप्लिन यानि हम सब : विष्णु खरे (कक्षा-12 पाठ-15 हिंदी अंतरा भाग 2)


 

इस पाठ के अन्य प्रश्न..

लेखक ने चार्ली का भारतीयकरण किसे कहा और क्यों? गांधी और नेहरू ने भी उनका सान्निध्य क्यों चाहा?

लेखक ने कलाकृति और रस के संदर्भ में किसे श्रेयस्कर माना है और क्यों? क्या आप कुछ ऐसे उदाहरण दे सकते हैं जहाँ कई रस साथ-साथ आए हों?


 

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चार्ली चैप्लिन यानि हम सब : विष्णु खरे (कक्षा-12 पाठ-15) हिंदी आरोह 2

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