‘रमैनी’ शब्द रामायण का अपभ्रंश शब्द है, जो कबीर की रचना ‘बीजक’ की प्रस्तावना भी मानी जाती है। ‘रमैनी’ या ‘रमैणी’ कबीर द्वारा रचित रचनाओं को कहा जाता है।
कबीर ने अपने ग्रंथ बीजक में 84 ‘रमैनियों’ की रचना ही है।
रमैणी दोहा अथवा चौपाई शैली में लिखी जाने वाली रचनाएं होती हैं। रमैणी का शाब्दिक अर्थ है, जीव जो इस संसार में की मोह माया में रमा हुआ है अर्थात माया में रमण करने वाला जीव।
इस तरह रमैणी शब्द रामायण के अपभ्रंश के साथ-साथ मोह माया में फंसे जीव के संदर्भ में भी प्रयुक्त किया जाता है।
कबीर की जो भी साखियां आदि हैं, उन सब की प्रस्तावना रमैणी के रूप में ही की गई है। जिसमें कबीर ने हिंदू एवं मुस्लिम दोनों धर्म संप्रदाय के व्यक्तियों के लिए धार्मिक शिक्षाओं दी हैं।
इस तरह रमैणी कबीर द्वारा रचित दोहा शैली की एक रचना है।
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