यो मा पुत्रप्रीत्या पोषयति स्वामिनो गृहे तस्य।
रक्षानियोगकरणान्न मया भ्रष्टव्यमीषदपि।
अर्थ : कुत्ता बालक से कह रहा है कि जो मालिक मुझे बेटे की तरह पाल रहा है, उसके घर की सुरक्षा करने के कार्य में मुझे थोड़ा भी पीछे नहीं हटना चाहिएय़ बालक कुत्ते की स्वामिभक्ति की इसी भावना से प्रेरणा ले रहा है।
इस श्लोक में किसी कुत्ते में कर्तव्य पालन की भावना अभिव्यक्त होती है। वह अपने स्वामी के प्रति कर्तव्यनिष्ठ होता है, जो स्वामी उसका पालन पोषण करता है उसके प्रति कुत्ता पूरी तरह स्वामी भक्ति का प्रदर्शन करता है और अपने स्वामी की रक्षा करने के कर्तव्य से जरा भी पीछे नहीं हटता।
कुत्ते की अपने स्वामी के प्रति निष्ठा को देखकर बालक भी प्रभावित होता है और वह विद्या अध्ययन के अपने कर्तव्य की ओर आकृष्ट होता है और विद्याध्ययन करने के अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटता।
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वे सब खेल रहे हैं। हम दोनों खा रहे हैं। सीता लिख रही है। संस्कृत अनुवाद