निम्नलिखित पंक्तियों में उद्धृत रस पहचानकर उसका नाम लिखिए। ‘जसोदा हरि पालनैं झुलावै। हलरावै, दुलरावै मल्हावै, जोइ-जोइ कछु गावै॥।’

जसोदा हरि पालनैं झुलावै।
हलरावै, दुलरावै मल्हावै, जोइ-जोइ कछु गावै।।

इस पंक्ति में ‘वात्सल्य रस’ है।

जसोदा हरि पाल हलशवे दुल गई मल्हावे, जोई सोई कछ गावै ।​
रस : वात्सल्य रस

 

विस्तृत विवरण :

जसोदा हरि पालनैं झुलावै। हलरावै, दुलरावै मल्हावै, जोइ-जोइ कछु गावै। इस पंक्ति में ‘वात्सल्य रस’ है। क्योंकि इस पंक्ति के माध्यम से एक माता यशोदा की अपने पुत्र श्रीकृष्ण के प्रति वात्सल्यता की भावना प्रकट हो रही है। इसमें यशोदा मैया अपने पुत्र श्री कृष्ण को पालने में बुलाकर सुलाने का प्रयत्न कर रहे हैं।

पंक्ति के माध्यम से एक माता का अपने पुत्र के प्रति वात्सल्यता की भावना प्रकट हो रही है, इसीलिए इन पंक्तियों में ‘वात्सल्य रस’ है। ‘वात्सल्य रस’ किसी पंक्ति में किसी काव्य में वहाँ पर प्रकट होता है, जब ममता या वात्सल्यता आदि की भावना प्रकट हो रही हो। माता पिता के अपने संतान के प्रति नैसर्गिक स्नेह या किसी बड़े का अपने छोटे के प्रति नैसर्गिक प्रेम-स्नेह ही वात्सल्य कहलाता है। पूरा पद पर इस प्रकार है.

जसोदा हरि पालनैं झुलावै।
हलरावै, दुलरावै मल्हावै, जोइ-जोइ कछु गावै।।
मेरे लाल कौं आउ निंदरिया, काहैं न आनि सुवावै।
तू काहैं नहिं बेगहिं आवै, तोकौं कान्ह बुलावै।।
कबहुँ पलक हरि मूँदि लेत हैं, कबहुँ अधर फरकावै।
सोवत जानि मौन ह्वै कै रहि, करि-करि सैन बतावै।।
इहिं अंतर अकुलाइ उठे हरि, जसुमति मधुरैं गावै।
जो सुख सूर अमर-मुनि दुरलभ, सो नंद-भामिनि पावै।।

अर्थात मैया यशोदा नन्हे बालक कृष्ण को पालने में झूला झूला रही हैं। वह कभी कृष्ण को झूला झूलाते हुए प्यार से पुचकारती हैं और कभी कुछ गाने लगती हैं। वह गाते हुए कहती हैं कि निद्रा तू मेरे लाल कृष्ण के पास आ और इसे अपनी गोदी में लेकर सुला दे। तू फटाफट क्यों नहीं आती। तुझे मेरा कृष्ण बुला रहा है। कृष्ण भी कभी पलके बंद कर लेते हैं तो कभी अपने होंठ फड़कड़ाने लगते हैं। माता यशोदा उन्हें सोता हुआ जानकर दूसरी गोपियों को संकेत करती हैं कि मेरा बालक कृष्ण सो रहा है। इसलिए तुम लोग शोर मत मचाओ, चुप रहो। इसी बीच अचानक श्रीकृष्ण व्याकुल होकर जग जाते हैं। तब माता यशोदा फिर मधुर स्वर में गाना गाने लगती हैं।

सूरदास जी कहते हैं कि जो सुख बालक रूपी कृष्ण के लालन-पालन और प्यार करके माताा यशोदा प्राप्त कर रही हैं, वैसा सुख तो देवताओं और मुनियों के लिए भी दुर्लभ है।

 


इसे भी देखें

वस्तुतत्व, झाड़-झंखार, धरतीधकेल​ का समास विग्रह कीजिए।

आसनों के द्वारा कौन से कार्य होते हैं?​

“बाल कल्पना के से पाले” में अलंकार है?

द्वंद्वातीत का संधि विच्छेद कीजिए।

Leave a Comment