कवि हमें दीपक की तरह जलने के लिए कह रहा है। कवि के अनुसार जिस तरह दीपक स्वयं जल कर अपनी आसपास पहले अंधकार को दूर कर देता है और चारों तरफ उजाला फैल जाता है, उसी तरह हमें भी दीपक की तरह जल के अपने आसपास के अज्ञान रूपी अंधकार को अपने अंदर और अपने आसपास के अज्ञान रूपी अंधकार को मिटा देना चाहिए और ज्ञान का प्रकाश फैलाना चाहिए। कवि के अनुसार हमारे अंदर आत्मज्ञान का प्रकाश प्रज्वलित होगा। दीपक की तरह जल के ही ज्ञान की प्राप्ति होगी।
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