‘एक टोकरी भर मिट्टी’ को हम अगर कोई दूसरा नाम देना चाहें तो यह नाम देना चाहेंगे..
‘अत्याचार का बोध’
‘एक टोकरी भर मिट्टी’ कहानी एक कैसे जमीदार और एक बूढ़ी विधवा स्त्री पर अत्याचार किया और उस गरीब विधवा स्त्री की झोपड़ी को केवल इसलिए हटवा दिया क्योंकि वह उसके शानदार महल के सामने थी। इस तरह उसने उस बूढ़ी स्त्री को बेघर करके उस पर अत्याचार किया है, इसलिए हम ऐसी इस कहानी को ‘अत्याचार का बोध’ नाम देना चाहेंगे।
‘एक टोकरी मिट्टी भर’ कहानी ‘माधव राव सप्रे’ द्वारा लिखी गई कहानी है, जिसमें एक बूढ़ी स्त्री की झोपड़ी जमींदार के महल के सामने थी। जमींदार को अपने सामने साधारण सी झोपड़ी अच्छी नहीं लगती थीष इसलिए उसने गरीब विधवा की झोपड़ी को वहाँ से हटवा दिया और वह बेघर हो गई ।
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