दीपावली के उत्सव को सार्थक रूप से मनाने के लिए पुत्र और माँ के बीच हुए संवाद को लिखिए।

संवाद

माँ और बेटे के बीच दीपावली को सार्थक रूप से मनाने के लिए संवाद

बेटा : माँ हम दिवाली क्यों मनाते हैं?
माँ : बेटा, दिवाली खुशियों और रोशनी का त्योहार है। यह एक प्रतीक है कि हम अपने जीवन के अंधेरे को दूर कर अपने जीवन को रोशनी से जगमगाए।
बेटा : अच्छा माँ। फिर तो दिवाली के त्योहार पर सबके जीवन में खुशियां आनी चाहिए।
माँ : बेटा, त्यौहार सबके लिए समान होता है। दिवाली के त्योहार पर सबके जीवन में खुशियां आनी चाहिए।
बेटा : माँ, हम दिवाली पर पटाखे क्यों जलाते हैं?
माँ:  बेटा, हम दिवाली पर पटाखे अपनी खुशियां जाहिर करने के लिए जलाते हैं। लेकिन बहुत अधिक पटाखे जलाना ठीक नहीं है। परंपरा और खुशी के लिए थोड़े बहुत पटाखे हल्के पटाखे ही जलाने चाहिये। ज्यादा पटाखे जलाना धन की बर्बादी के साथ पर्यावरण के लिये घातक है।
बेटा : माँ, दिवाली पर पटाखे नहीं जलाऊंगा।
बेटा : माँ, बहुत अच्छे बेटा। लेकिन पटाखे में जो पैसे खर्च होंगे वह पैसे मैं तुम्हें दे दूंगी। तुम अपनी मनचाही चीज खरीद लेना।
बेटा : माँ, मैं उन पैसों से कुछ मिठाई और कपड़े खरीद कर हमारे पास की गरीब बस्ती में अपने साथी दोस्तों को देना चाहता हूँ, जो बहुत गरीब हैं। मैं चाहता हूँ कि दिवाली पर उनके घर में भी खुशियां आएं।
माँ : बेटा, यह बात तुमने बहुत अच्छी कही। मुझे तुम पर गर्व है। तुम ऐसा ही करना। मैं भी तुम्हारे साथ चलूंगी। दिवाली पर हम सब का प्रयास होना चाहिए कि हम सबके जीवन में खुशियां आ सकें तभी हमारी दीवाली सार्थक है।
बेटा : हाँ, माँ।


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