कवि का स्वप्न भंग इस जीवन सत्य की ओर संकेत करता है कि स्वप्न केवल मिथ्या होते हैं। वास्तविकता और यथार्थ के धरातल पर उनका कोई भी औचित्य नहीं होता। जब तक हम स्वप्न देखते रहते हैं तब तक हमें बेहद खुशी का अनुभव होता है, हम आनंद और कल्पना के लोक में विचरते रहते हैं। यह सपने हमें हर्षित करते हैं। लेकिन जैसे ही हमारे स्वप्न समाप्त होते हैं। हम यथार्थ के धरातल पर आ जाते हैं। हम वास्तविकता का सामना करते हैं, तब हमें पता चलता है कि स्वप्न तो केवल मिथ्या था, वह सत्य नहीं था। तब हमारा ह्रदय छिन्न-भिन्न हो जाता है। तब हमें दुख होता है। स्वप्न मिथ्या होते हैं यही जीवन का सत्य है।
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सफलता की, विजय की, उन्नति की कुंजी तो अविचल श्रद्धा ही है। इस वाक्य का भाव स्पष्ट कीजिए।
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