‘सफलता की विजय की उन्नति ही कुंजी तो अविचल श्रद्धा है।’ इस वाक्य का भाव यह है कि जब तक हमारे अंदर अपने उद्देश्य अपने लक्ष्य के प्रति अटूट विश्वास पैदा नहीं होगा। तब तक हमें सफलता प्राप्त नहीं हो सकती। हमारा अटूट एवं अगाध विश्वास ही हमें सफलता के पथ की ओर आगे ले जाता है।
जब हम किसी संकट या विपत्ति से संघर्ष करके उसकी चुनौती को स्वीकार करते हैं और उसे उस पर विजय प्राप्त करते हैं तब तक हमारी निरंतर उन्नति होती रहती है। इसलिए यदि अपने जीवन को उन्नतिमय बनाना है तो अपने कार्य के प्रति एवं विश्वास होना चाहिए और असफलता से घबराना नहीं चाहिए बल्कि उन्हें प्रयास करते रहना चाहिए सफलता अवश्य मिलती है।
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जागृत सब हो रहे हमारे ही आगे हैं में निहित भाव स्पष्ट कीजिए।
इसीलिए हम प्यार की, करते साज-सम्हार, नफरत से नफरत बढ़े, बढ़े प्यार से प्यार। भावार्थ लिखो।
बिछड़ने का समय बड़ा ही करुणा उत्पादक होता है’ -पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए। पाठ विदाई संभाषण।