होली पर निबंध

निबंध

होली

 

प्रस्तावना

होली भारत का एक प्रसिद्ध त्योहार है। यह भारत में हिंदू धर्म के अनुयायियों द्वारा मनाया जाने वाला सबसे प्रमुख पर्व है। लेकिन होली की लोकप्रियता इतनी है कि ये हर धर्म के लोगों द्वारा मनाया जाता है। होली का त्योहार हिंदू वर्ष के फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन करके तथा अगले दिन चैत्र मास की प्रथमा के दिन वंसतोत्सव के आरंभ के दिन रंगो से होली खेलकर मनाया जाता है।

भारत के जो भी प्रमुख त्योहार है, उनमें होली सबसे प्रमुख त्यौहार है। हिंदू धर्म में होली और दिवाली दो बेहद महत्वपूर्ण त्यौहार हैं। ये दो सबसे बड़े त्यौहार है जो जो कि पूरे भारत में पूरे हर्षोल्लास से मनाये जाते हैं। यूँ तो भारत पूरा भारत उत्सव एवं पर्वों का देश है और पूरे भारत में हर महीने कोई ना कोई उत्सव एवं पर्व मनाया जाता रहा है, लेकिन होली और दिवाली जैसे कुछ त्योहार बेहद अधिक प्रसिद्ध और बड़े त्योहार हैं, जिन्हें हर कोई उत्साह पूर्वक मनाता है।

होली का त्योहार

होली का त्योहार मनाने के पीछे अनेक पौराणिक मान्यताएं छुपी हुई हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार प्राचीन काल में हिरणकश्यप नाम का एक राजा था। उसका पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। हिरणकश्यप भगवान विष्णु का घोर विरोधी था। इसी कारण वह अपने पुत्र प्रहलाद से चिढ़ता था। उसने प्रहलाद को भगवान विष्णु की भक्ति करने से मना किया लेकिन वह नहीं माना तो हिरणकश्यप ने प्रहलाद को प्राणदंड देने का निश्चय किया।  उसने प्रहलाद को मारने के अनेक तरीके अपनाए, कभी उसने उसने प्रहलाद को हाथी के नीचे कुचलने के लिए डाल दिया तो कभी से विष देने का प्रयत्न किया।

ये सब करने से भी प्रहलाद का बाल भी बांका ना हो सका। उस पर भगवान विष्णु की कृपा थी। तब उसने प्रहलाद को मारने के लिए अपनी बहन होलिका की मदद मांगी। होलिका को आग में जलने का वरदान प्राप्त था। इसीलिए वह हिरण कश्यप के अनुसार प्रहलाद को अपनी गोद में बिठाकर जलती हुई चिता में बैठ गई ताकि पहलाद जलकर मर जाए और होलिका को वरदान प्राप्त होने के कारण आग से उसे कुछ नहीं होगा। लेकिन इसका उल्टा हुआ होलिका आग में जलकर भस्म हो गई, लेकिन प्रहलाद बाल बांका नहीं हुआ और वह सकुशल बाहर निकल आया। कहते हैं तभी से होलिका दहन का पर्व मनाना शुरू हो गया। होली के अवसर पर रंग खेलने की परंपरा बाद में जुड़ती गई।

होली प्रेम एवं भाईचारे का त्योहार है। होली एक ऐसा त्यौहार है जिसमें लोग प्रेम और भाईचारे से होली खेलते है। सुबह होलिका दहन करने के पश्चात लोग एक दूसरे पर रंग डालते हैं और एक दूसरे से रंगों की होली खेलते हैं। लोग अपने बड़े जनों के प्रति अबीर-गुलाल लगाकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

होली प्रेम एवं मस्ती का त्यौहार है। यह आपस में भाईचारा फैलाने वाला त्यौहार है। पूरे दिन होली के पश्चात जब सब लोग लोग नहा धोकर नए कपड़े पहन कर शाम को एक दूसरे से गले मिलते हैं। जगह-जगह मेलों का आयोजन किया जाता है जो एक दूसरे को होली की बधाई देते हुए गले मिलते हैं। उत्तर भारत में होली का त्योहार बहुत अधिक हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इस दिन लोग एक दूसरे के घर होली मिलने जाते हैं। सभी के घरों अनेक पकवान बनाये जाते हैं, इन पकवानों में ‘गुझिया’ नामक पकवान बेहद प्रसिद्ध है।

उपसंहार

हर त्यौहार के पीछे कोई ना कोई उद्देश्य छुपा रहता है। होली के पीछे इसका सार्थक उद्देश्य यह है कि होली के दिन लोग अपनी दुश्मनी भुलाकर एक दूसरे के गले मिलते हैं। होली का त्योहार एक ऐसा त्योहार है, जिस दिन दो दुश्मन व्यक्ति भी अपनी पुरानी दुश्मनी को बुलाकर मित्रता कर लेते हैं। यह त्यौहार प्रेम एवं भाईचारे का संदेश देता है। होली का त्यौहार धर्म एवं जाति से ऊपर उठकर मानव जाति को अपनाने का संदेश देता है। रंगों के माध्यम से होली जीवन में रंग एवं उल्लास में भरने का संदेश देता है। इस तरह होली का त्योहार भारत का एक प्रमुख एवं मस्ती भरा एवं भाईचारे का प्रतीक त्यौहार है।

 


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