अनुच्छेद
प्रदूषण
प्रदूषण की समस्या आज के युग की एक ज्वलंत समस्या है। प्रदूषण की समस्या एक रूप में नहीं बल्कि अनेक रूपों में है। वायु प्रदूषण ध्वनि प्रदूषण जल प्रदूषण भूमि प्रदूषण आदि जैसे अनेक प्रदूषण पृथ्वी के पर्यावरण को नष्ट किए जा रहे हैं। इन सारे प्रदूषण के लिए प्रकृति स्वयं नहीं बल्कि मानव के कृत्य जिम्मेदार हैं। मानव द्वारा किए जाने वाले प्राकृतिक छेड़छाड़ तथा अंधाधुंध विकास कार्यों से आज पूरी प्रकृति प्रदूषण प्रदूषित हो चुकी है।
वाहनों के धुएं के रूप में वायु प्रदूषण, कल कारखानों द्वारा निकलने जाने वाले धुएँ के रूप में वायु प्रदूषण के कारण स्वच्छ वायु वाली सांस लेना मुश्किल हो गया है, जिस कारण मानव अनेक तरह की बीमारियों से ग्रस्त हो रहा है। उसी प्रकार वाहनों के हार्न द्वारा की जाने वाली आवाज, पटाखों द्वारा आवाज तथा अन्य कई ध्वनि विस्तारक यंत्रों द्वारा आवाज के कारण ध्वनि प्रदूषण भी कानों को बहरा किए हुए हैं। जल प्रदूषण भी एक गहरी समस्या है। पानी के लगभग सभी स्रोत नदी, तालाब, समुद्र सब प्रदूषित हो चुके हैं।
कहने का तात्पर्य यह है कि पृथ्वी का पूरा वायुमंडल ही प्रदूषित हो चुका है। पूरी प्रकृति ही प्रदूषित हो चुकी है। यदि मानव ने समय रहते सार्थक उपाय नहीं किए तो पृथ्वी पर आने वाली प्रजातियों का जीवन संकट में पड़ना निश्चित है।
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