संवाद
होली को तैयारी को लेकर दो मित्रों के बीच संवाद
(होली की तैयारी पर दो मित्र राजेश और अखिलेश में संवाद हो रहा है।)
राजेश : अखिलेश तुमने होली की क्या तैयारी की है?
अखिलेश : तैयारी क्या करना, मैंने तो इस बार सादगी से होली मनाने का निर्णय लिया है।
राजेश : सादगी से होली मनाने का मतलब?
अखिलेश : पिछले साल होली पर मैंने बहुत धमाचौकड़ी की थी, लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं करना है। इस बारे मैं ज्यादा रंग नहीं खेलूंगा और सूखी होली यानि केवल अबीर-गुलाल से ही होली खेलूंगा।
राजेश : लेकिन दोस्त, यह त्यौहार साल में एक बार आता है। एक बार धमाचौकड़ी करने से क्या बिगड़ जाएगा। उत्सव जीवन में रंग बिखेरते हैं, उल्लास लाते हैं और होली तो रंगों एवं उल्लास का ही पर्व है।
अखिलेश : बात तुम्हारी ठीक है। मेरा कहने का मतलब ये नहीं है। होली मैं पूरी तरह खुशी से मनाऊंगा, लेकिन पिछली बार होली खेलते समय मैंने केमिकल वाले रंगों का प्रयोग ज्यादा कर दिया था जो कि हमारे त्वचा और आँखों के लिए नुकसान होते हैं। इस बार ऐसा कुछ नहीं करना है। प्राकृतिक रंगों से होली खेलनी है।
राजेश : हाँ, यह बात ठीक है। प्राकृतिक रंगों से होली मनाएं। अधिकतर सूखी होली खेलें। पानी को व्यर्थ ना करें, तो होली का त्यौहार और अधिक मजेदार बन जाता है।
अखिलेश : बिल्कुल ऐसा ही करेंगे। इस बार हमें होली सदैव प्रेम एवं भाईचारे से मनानी चाहिए। बेवजह किसी को तंग नही करना है और हुड़दंग नही करना है।
राजेश : बिल्कुल सही।